मुंबई: बीजेपी के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. एकनाथ खडसे अब शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल होंगे. पिछले कुछ दिनों से ही खडसे के बीजेपी छोड़ने और शरद पवार की पार्टी में शामिल होने की खबरें चर्चा में थी. कुछ दिन पहले उन्होंने शरद पवार से मुलाकात भी की थी.


महाराष्ट्र की राजनीति में रहा लंबा कार्यकाल


एकनाथ खडसे बीजेपी के दिग्गज नेता रहे हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में उनका लंबा कार्यकाल रहा है. साल 1991 से मुक्ताईनगर विधानसभा सीट से पिछले चुनाव तक वह छह बार से लगातार जीतते आए. साल 2014 में फडणवीस सरकार में खड़से को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली थी. लेकिन जमीन कब्जाने के आरोपों में 2016 में खडसे ने राजस्व मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद पार्टी के कुछ निर्णयों के खिलाफ 67 साल के खडसे ने आवाज उठाई थी.


पिछले चुनाव में बीजेपी ने काट दिया टिकट


इसके बाद साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में खडसे को पार्टी ने टिकट नहीं दिया था. इस बात से नाराज खडसे ने देंवेंद्र फडणवीस और गिरीश महाजन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. खडसे ने कहा था कि कुछ लोग मेरा राजनीतिक करियर खत्न करना चाहते हैं.


एकनाथ खडसे का जन्म दो सितंबर 1952 को महाराष्ट्र में जलगांव जिले के कोठली गांव में हुआ था. खडसे के बेटे निखिल ने मई 2013 में आत्महत्या कर ली थी. खडसे की बहू रक्षा खडसे रावर सीट से लोकसभा की सांसद हैं.


1980 के दशक में बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में शुरू किया राजनीतिक जीवन


खडसे ने 1980 के दशक में बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया था और पार्टी की मदद की. इसके बाद पार्टी ने उत्तर महाराष्ट्र में अपना आधार स्थापित किया. खडसे ने अपना पहला चुनाव सरपंच के रूप में साल 1987 में जीता था. इसके बाद 1989 में खडसे ने मुक्तेनगर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा का चुनाव लड़ा और जीतकर महाराष्ट्र विधानसभा पहुंचे.


खडसे ने साल 1995-1999 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में वित्त और सिंचाई दोनों विभागों को संभाला. खडसे ने नवंबर 2009 से अक्टूबर 2014 तक विपक्ष के नेता के रूप में भी कार्य किया.

साल 2014 में खडसे का नाम महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी शामिल था, लेकिन चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने देवेंद्र फणडवीस को मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया. इसके बाद से ही दोनों नेताओं के संबंधों में कड़वाहट आ गई. कहा जाता है कि देवेंद्र फणडवीस की वजह से ही बीजेपी एकनाथ खडसे को दरकिनार करती रही.

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