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शारदा चिटफंड घोटाला: 3 से 4 हजार करोड़ रुपये की लूट का है मामला, जानिए- 2013 से शुरू हुई जांच की पूरी कहानी

शारदा ग्रुप अपनी साफ छवि दिखाने के लिए फुटबॉल क्लब से लेकर दुर्गा पूजा के इवेंट्स में सहयोग करने के दावा करता था. इतना ही नहीं शारदा ग्रुप की वजह से तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को फाइनेंशियल सपोर्ट मिलने की बात सामने आई.

शारदा चिटफंट घोटाले में रविवार को सीबीआई की छापेमारी के साथ नया मोड़ आ गया. सीबीआई की कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर छापेमारी के बाद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी धरने पर पर हैं. वहीं सीबीआई अपने अधिकारियों की कुछ देर की हिरासत और पुलिस द्वारा जांच में सहयोग न मिलने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. अब इस पर कल सुनवाई होनी है.

आपका बता दें कि 2013 में पहली बार सामने आया शारदा चिट फंड घोटाला 3 से 4 हजार करोड़ रुपये की लूट का मामला है. अब तक सामने आई जांच में इस घोटाले से सबसे ज्यादा तार ममता बनर्जी की पार्टी के नेताओं के ही जुड़ें हैं. हालांकि कुछ और बड़ी पार्टियों के नेताओं के नाम भी इस घोटाले से जुड़ चुके हैं. इतना ही नहीं इस घोटाले की पहुंच पश्चिम बंगाल के अलावा असम, ओडिशा और त्रिपुरा में भी रही है.

17 लाख लोगों ने किया था निवेश

शारदा चिट फंड घोटाले की शुरुआत शारदा ग्रुप की चलाई जा रही पूंजी स्कीम के तहत हुई है. आरोप है कि शारदा ग्रुप ने 200 कंपनियों के आसरे गलत तरीके से लोगों का पैसा ठगा है. अप्रैल 2013 तक शारदा ग्रुप के पास करीब 17 लाख लोगों का 3 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा इकट्ठा हुआ. उस समय सुदीप्ता सेन शारदा ग्रुप के चैयरमैन थे. साल 2013 में विपक्षी पार्टियों ने सुदीप्ता सेन की बंगाला की सीएम ममता बनर्जी से नजदीकियां होने का आरोप लगाया और इस मामले ने तूल पकड़ लिया.

मामले के तूल पकड़ने के बाद इस घोटाले की आंच ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेताओं तक पहुंचने लगी. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सासंद कुणाल घोष शारदा ग्रुप मीडिया डिवीजन को हेड कर रहे थे. ममता बनर्जी की पार्टी की एक ओर सासंद शताब्दी रॉय भी इस ग्रुप के प्रमोशनल इवेंट्स में हिस्सा लेती थीं. ऐसा आरोप है कि ममता बनर्जी ने खुद इस ग्रुप के दो ऑफिस का उद्घाटन किया.

शारदा ग्रुप अपनी साफ छवि दिखाने के लिए फुटबॉल क्लब से लेकर दुर्गा पूजा के इवेंट्स में सहयोग करने के दावा करता था. इतना ही नहीं शारदा ग्रुप की वजह से तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को फाइनेंशियल सपोर्ट मिलने की बात सामने आई. शारदा पूंजी स्कीम की आंच पश्चिम बंगाल के अलावा ओडिशा, असम और त्रिपुरा तक भी पहुंची.

2009 में पहली बार निशाने पर आया शारदा ग्रुप

साल 2009 में शारदा ग्रुप पहली बार सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) के निशाने पर आया. शारदा ग्रुप ने उस वक्त क्रॉस होल्डिंग्स बढ़ाने के लिए 200 कंपनियां खोंली. इसी को देखते हुए साल 2010 में SEBI ने शारदा ग्रुप के खिलाफ जांच करनी शुरू की. SEBI की जांच को देखते हुए शारदा ग्रुप ने अपने पैसे के मोड को बदलने का फैसला किया. शारदा ग्रुप में जो लोग भी अपने पैसे निवेश कर रहे थे उनके पैसे का कंपनी क्या कर रही है इस बात की कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी.

साल 2011 में SEBI ने पश्चिम बंगाल सरकार को शारदा ग्रुप को लेकर चेतावनी दी. साल 2012 तक SEBI ने शारदा चिट फंड घोटाले में पैसे के हेर फेर का पता लगा लिया. लेकिन साल 2013 तक यह कंपनी चलती रही. हालांकि अप्रैल 2013 में यह शारदा ग्रुप का घोटाला सामने आ गया.

अप्रैल 2013 में शारदा ग्रुप के लिए काम करने वाले 600 एजेंट तृणमूल कांग्रेस के दफ्तर के आगे धरना देने पहुंचे और इस मामले में जांच की मांग की. 18 अप्रैल को कंपनी के चैयरमैन सुदीप्त सेन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी कर दिया गया और 23 अप्रैल 2013 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

मामले को तूल पकड़ता देख बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने 22 अप्रैल 2013 और जांच के लिए चार सदस्यों की कमेटी का गठन किया. जांच की घोषणा के 2 दिन बाद ही ममता बनर्जी ने घोटाले की चपेट में आने वाले लोगों के लिए 500 करोड़ रुपये की राहत देने का एलान भी किया. इसके साथ ही बंगाल सरकार ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम भी बनाई. इसके अलावा ममता सरकार ने इस मामले की जांच के लिए CBI, ED जैसे एजेंसियों को विरोध करना भी शुरू कर दिया.

जांच से संतुष्ठ नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया दखल

कुछ वक्त के बाद ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. राज्य सरकार की जांच से संतुष्ठ नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने CBI और ED को शारदा चिट फंड घोटाले की जांच करने के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के बाद पश्चिम बंगाल में केंद्र की जांच एजेंसी ED ने मामले की जांच शुरू की. अप्रैल 2014 में ED ने शारदा ग्रुप के चैयरमैन सुदीप्त की पत्नी और बेटे को गिरफ्तार किया. ED ने इस मामले में टीएमसी के सासंद अहमद हसन और अर्पिता घोष से भी पूछताछ की.

मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़ी हुई सारी जांच CBI को ही करने को कहा. सुप्रीम कोर्ट की आदेश के बाद बंगाल सरकार की एसआईटी ने भी सारी जानकारी CBI को दे दी. जांच को आगे बढ़ाते हुए CBI ने नंवबर 2014 टीएमसी के सासंद सिरनजॉय बॉस को शारदा घोटाले के साथ जुड़ा होने की वजह से गिरफ्तार किया. दिसबंर 2014 में CBI ने बंगाल सरकार के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर मदन नित्रा को भी घोटाले से जुड़े होने के आरोपों के चलते गिरफ्तार किया.

लेकिन अब मामले ने कोलकाता के कमिश्नर राजीव कुमार से सीबीआई की पूछताछ के चलते तूल पकड़ा है. दरअसल, जब बंगाल सरकार ने साल जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था, 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव कुमार उसे हेड कर रहे थे. सीबीआई ने राजीव कुमार पर मामले से जुड़े सबूतों से छेड़छाड़ करने और गायब करने का आरोप लगाया है.

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