नई दिल्ली: आज उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए संसद भवन में वोट डाले जाएंगे. सत्तापक्ष की ओर से पूर्व केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू तो विपक्ष की ओर से पश्चिम बंगाल के पूर्व गवर्नर गोपाल कृष्ण गांधी मैदान में हैं. सत्तारूढ़ एनडीए जहां अपने उम्मीदवार की जीत तय मान रही है तो वहीं विपक्ष ने इसे विचारधारा की लड़ाई का मुद्दा बनाया है.


कैसे होता है उपराष्ट्रपति का चुनाव ?


उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के इलेक्टेड (जनता के द्वारा चुने गए) सासंद वोट देते हैं. सासंदों का एक वोट ही जोड़ा जाता है. इस चुनाव में राष्ट्रपति चुनाव की तरह विधानसभा के सदस्य शामिल नहीं होते हैं.


उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचन मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) की कुल सख्या 790 है. जिसमें राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य 233 हैं और नामित सदस्य 12 हैं. इसी तरह लोकसभा में निर्वाचित सदस्य 543 और नामित सदस्य 2 हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 785 वोट हैं जिसमें से ये चुनाव जीतने के लिए 393 वोटों की जरूरत पड़ती है.


क्यों तय मानी जा रही है वेंकैया नायडू की जीत?


लोकसभा में एनडीए के 338 सांसद हैं जो वेंकैया को वोट करेंगे. वेंकैया के समर्थन में AIADMK के 37 सांसद हैं. YSR कांग्रेस के 9 , टीआरएस के 11 सांसद हैं साथ ही 2 नॉमिनेटेड सांसद भी वेंकैया के समर्थन में हैं. कुल मिलाकर वेंकैया को लोकसभा में 397 सांसदों का समर्थन हासिल है. राज्यसभा में एनडीए के 86 सांसद हैं जो वेंकैया को वोट करेंगे. इसके अलावा AIADMK के 13 सांसद, टीआरएस के 3 और YSR कांग्रेस का 1 और INLD का एक सांसद वेंकैया के पक्ष में हैं. यानी राज्यसभा में वेंकैया को कुल 100 सांसदों का समर्थन हासिल है. इस तरह लोकसभा और राज्यसभा मिलाकर वेंकैया को 497 सांसदों का समर्थन हासिल है जो बहुमत के आंकड़े 394 से कहीं ज्यादा है.


कौन हैं वेंकैया नायडू?


वेंकैया नायडू मोदी सरकार के सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं और वो दक्षिण भारत के सबसे पुराने बीजेपी नेताओं में से एक हैं. इसके अलावा वो 2002 से 2004 तक बीजेपी अध्यक्ष भी थे. आंध्रप्रदेश के नेल्लोर जिला के रहनेवाले वेंकैया नायडू बीजेपी में शामिल होने से पहले 70 के दशक में आरएसएस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में उल्लेखनीय योगदान दे चुके हैं.


आपातकाल के दौरान वो जय प्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े थे और उस समय वो जेल भी गये थे. 1978 और 1983 में नेल्लौर से विधायक चुने के बाद वो पहली बार 1998 में राज्यसभा सांसद बने. अभी वो राजस्थान से राज्यसभा सांसद है और मोदी सरकार में उनकी भूमिका एक संकटमोचक के तौर पर है.


विपक्ष की तरफ से गोपाल कृष्ण गांधी का नाम


कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए ने उप राष्ट्रपति पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर रखी है. यूपीए की तरफ से उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी है. पश्चिम बंगाल के गवर्नर रहे गोपाल कृष्ण गांधी महात्मा गांधी के पोते हैं. कांग्रेस सहित 18 विपक्षी पार्टियों ने गोपाल कृष्ण को अपना समर्थन देने का एलान कर रखा है.


नीतीश कुमार करेंगे विपक्ष के उम्मीदवार का समर्थन


बिहार में महागठबंधन तोड़ कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार की पार्टी उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार गोपाल कृष्ण गांधी का समर्थन करेगी. उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि ये तो पहले से ही तय है था कि हम उनका समर्थन करेंगे. बीजेपी के साथ जब चर्चा हुई तो हमने यह बात स्पष्ट कर दी थी और उन्हें इससे कोई समस्या नहीं है.