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पीएम मोदी ने किया सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन, जानें क्यों खास है ये बांध?
सरदार सरोवर बांध की अवधारणा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1946 में आजादी से पहले रखी थी. हालांकि इसकी नीव 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने रखी. इस पर काम की शुरुआत 1987 में हुई.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के गुजरात दौरे पर हैं. आज प्रधानमंत्री का जन्मदिन भी है. इस बेहद खास मौके पर प्रधानमंत्री ने देश को एक बेहद खास तौहफा दिया है. प्रधानमंत्री ने आज 56 साल के लंबे इंतजार के बाद करीब 60 हजार करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुए ‘सरदार सरोवर बांध’ को देश को सौंप दिया.
आठ प्वाइंट में जानें बांध से जुड़ी हर जानकारी
- सरदार सरोवर बांध की अवधारणा सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1946 में आजादी से पहले रखी थी. हालांकि इसकी नीव 5 अप्रैल 1961 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने रखी. इस पर काम की शुरुआत 1987 में हुई.
- इस बांध की लंबाई 1.2 कि.मी. है जो इसे देश का सबसे लंबा बांध बनाता है. इस बांध की लागत लगभग 44 हजार करोड़ रूपए है औऱ 16 हजार करोड़ रुपए बांड और ब्याज पर लग गए हैं. इसकी लंबाई 138.68 है जिसमें 4.73 मिलियन क्युबिक मी. उपयोग के लायक जगह है.
- इस बांध के निर्माण से गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को लाभ होगा. गुजरात को इस योजना से अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा लाभ होगा क्योंकि सूखा ग्रस्त क्षेत्रों में पाईपलाईन के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा जिससे तकरीबन 18 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ होगा.
- राजस्थान के बाड़मेड़ औऱ जलोर जिलों की तकरीबन 2 लाख 46 हजार हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी. इसी कड़ी में महराष्ट्र के 37 हजार 500 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो सकेगी.
- तकरीबन 10 लाख किसानों को सीधे इस योजना के जरिए सिंचाई का लाभ मिलेगा. जिसमें अगर पीने के पानी की बात की जाए तो तकरीबन 4 करोड़ अलग-अलग गावों और क्षेत्रों के लोगों को लाभ मिलेगा.
- इस बांध में लगे 2 टावरों से 1200 MW और 250 MW बिजली का उत्पादन होगा जिसका 57 प्रतिशत हिस्सा महराष्ट्र को 27 प्रतिशत मध्य प्रदेश को औऱ 16 प्रतिशत हिस्सा गुजरात को मिलेगा.
- इस बांध के जरिए सालाना तकरीबन 1600 करोड़ रुपए कृषि से, बिजली उत्पादन और पानी की सप्लाई से 175 करोड़ रुपए आएंगे जो तकरीबन 2175 करोड़ रुपए सालाना होता है जिसको अगर एक दिन के हिसाब से अनुमान लगाएं तो 6 करोड़ रुपए हर दिन लाभ मिलेगा.
- इससे तकरीबन 10 लाख ग्रामीण लोगों को रोजगार मिलेगा जो गांव के लोगों का शहरों की तरफ होने वाले पलायन को कम करने में मदद करेगा.
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