नई दिल्ली: इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी सामान बनाने वाले कारोबारियों को सरकार की तरफ से मिलने वाली छूट है. जीएसटी में सरकार ने उत्पादकों यानी सामान बनाने वालों को बड़ी राहत दी है.
क्या है ये इनपुट टैक्स क्रेडिट ? एक बिस्किट बनाने वाले बिजनेसमैन के कारोबार पर इसका क्या असर होगा ये समझिए.
मान लीजिए 100 रुपये का कच्चा माल बिस्किट बनाने के लिए कारोबारी खरीदने गया. इस पर कच्चा माल सप्लाई करने वाले ने 12 फीसदी टैक्स चुकाया तो निर्माता को कच्चे माल के लिए 112 रुपये देने पड़ेृ लेकिन ये 12 रुपये जो टैक्स भरा गया वो लागत से अलग होगा. अब इस कच्चे माल से निर्माता ने बिस्किट बनाया और उस पर अपना मार्जिन रखा 8 रुपये. इसके बाद निर्माता बिस्किट को थोक विक्रेता को बेचेगा..
निर्माता को 18 फीसदी जीएसटी लगेगा, 108 रुपये पर 19 रुपये 44 पैसे तो थोक विक्रेता को देने पड़ेंगे 127 रुपये 44 पैसे. अब तक चुकाए गए टैक्स के ऊपर टैक्स लगता था यानी जो टैक्स भरा वो लागत बन जाती थी लेकिन जीएसटी में लागत 100 रुपये ही रहेगी.
थोक विक्रेता ने निर्माता को जो 19 रुपये 44 पैसे चुकाए उसमें से 12 रुपये कम कर घट जाएंगे जो निर्माता ने 100 रुपये के साथ कच्चा माल खरीदने वक्त दिए थे और सरकार को जीएसटी चुकाना पड़ेगा सिर्फ 7 रुपये 44 पैसे, यहां जो 12 रुपये बिस्किट बनाने वाले को बचे वही इनपुट टैक्स क्रेडिट है.
अब आप सोच रहे होंगे कि पहले टैक्स चुकाने पर दोबारा टैक्स कम भरने का ये सिस्टम सरकार ने जीएसटी में क्यों डाला है? तो इसका जवाब ये है कि सैद्धांतिक तौर पर मौजूदा व्यवस्था में उत्पादक यानी सामान बनाने वाले को केंद्रीय करों और वैट दोनों ही मामले में कच्चे माल पर चुकाए गए टैक्स के एवज में तैयार माल पर टैक्स क्रेडिट देने की बात कही गई है. चूंकि अभी पूरा इंटीग्रेटेड सिस्टम ऐसा तैयार नहीं है इसलिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का सिस्टम लाया गया है.
इसे इस तरह से भी समझिए कि किसी सामान के इस्तेमाल के पहले के स्तर के टैक्स को इनपुट टैक्स कहा जाएगा और आगे के स्तर के लिए ये क्रेडिट का काम करेगा. यानी वो टैक्स घट जाएगा और जो आगे मिल रहा है वो इनपुट टैक्स क्रेडिट है. जो बचत किसी सामान बनाने वाले को हुई उससे थोक व्यापारी से लेकर खरीदार तक सामान सस्ता रहेगा.
जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था का फायदा तभी मिल सकता है जब सभी ने यानी कच्चा माल मुहैया कराने वाले से लेकर बनाने वाले और ग्राहक को माल बेचने वाले ने रजिस्ट्रेशन करा रखा हो.
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