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PM मोदी के निर्वाचन को रद्द किए जाने की हुई थी मांग, इलाहाबाद HC कल सुनाएगा फैसला

इस मामले में हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद 23 अक्टूबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था. पीएम मोदी की तरफ से दाखिल किये गए जवाब में अर्जी की पोषणीयता पर ही सवाल उठाए गए और उसे खारिज किये जाने की मांग की गई थी.

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन को रद्द किये जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई चुनाव अर्जी पर इलाहाबाद हाई कोर्ट कल यानी शुक्रवार छह दिसम्बर को अपना फैसला सुनाएगा. इस मामले में जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता की सिंगल बेंच का फैसला दोपहर ढाई बजे आएगा. इस मामले में अदालत कल सिर्फ पीएम मोदी की तरफ से दाखिल की गई आपत्तियों के आधार पर यह फैसला सुनाएगी कि पूर्व फ़ौजी तेज बहादुर यादव की अर्जी सुनवाई के लायक है या नहीं. अगर अदालत को यह लगता है कि तेज बहादुर की अर्जी में दिए गए तथ्यों के आधार पर पीएम व वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुकदमा चल सकता है तो वह इसकी मंजूरी देते हुए सुनवाई के लिए कोई तारीख तय करेगी. कहा जाए तो हाई कोर्ट की सिंगल बेंच से कल आने वाला फैसला सिर्फ अर्जी की पोषणीयता यानी उसकी मेरिट को लेकर होगा. इस मामले में हाई कोर्ट ने सभी पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद 23 अक्टूबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था.

पूर्व फ़ौजी तेज बहादुर यादव द्वारा दाखिल की गई अर्जी का पीएम मोदी की तरफ से विरोध किया गया था और उसे मेरिट पर सुने बिना ही खारिज किये जाने की मांग की गई थी. पीएम मोदी की तरफ से अदालत में यह दलील दी गई कि याचिकाकर्ता तेज बहादुर यादव न तो वाराणसी लोकसभा सीट के वोटर हैं और न ही वहां हुए चुनाव में प्रत्याशी थे. ऐसे में में उन्हें अदालत में चुनाव याचिका दाखिल करने का अधिकार ही नहीं है. पीएम मोदी की इस आपत्ति पर याचिकाकर्ता तेज बहादुर की तरफ से दलील पेश की गई. अदालत से कल आने वाले फैसले में यह तय होगा कि तेज बहादुर की इस अर्जी पर हाई कोर्ट मेरिट पर सुनवाई करेगी या फिर उसे सुनवाई के लायक नहीं मानकर अभी से ख़ारिज कर दिया जाएगा.

समाजवादी पार्टी से टिकट पाने वाले पूर्व फ़ौजी तेज बहादुर की अर्जी में वाराणसी सीट से पीएम मोदी के निर्वाचन को रद्द कर वहां नये सिरे से चुनाव कराए जाने की मांग की गई थी. तेज बहादुर ने इसके लिए अपना नामांकन पत्र खारिज किये जाने को बड़ा आधार बनाया था और आरोप लगाया था कि उनका पर्चा पीएम मोदी के दबाव में खारिज किया गया है. अर्जी में इसके साथ ही पीएम व बीजेपी उम्मीदवार रहे नरेंद्र मोदी के नामांकन पत्र में परिवार के ब्यौरे समेत कई कालम खाली छोड़े जाने को भी चुनौती दी गई थी. कहा गया था कि इस आधार पर उनका नामांकन भी खारिज हो जाना चाहिए. तेज बहादुर यादव की इस अर्जी को जस्टिस एमके गुप्ता की बेंच ने 17 जुलाई को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी को नोटिस जारी किया था और उनसे जवाब दाखिल करने को कहा था. पीएम मोदी की तरफ से दाखिल किये गए जवाब में अर्जी की पोषणीयता पर ही सवाल उठाए गए और उसे खारिज किये जाने की मांग की गई थी.

पीएम मोदी की तरफ से कोर्ट में कहा गया था कि सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 व पीपुल्स रिप्रेजेंटेशन एक्ट की धारा 86 (1) के तहत याचिका बिना किसी ठोस वजह के दाखिल की गई है. इसके साथ ही नियम यह भी है कि चुनाव याचिका सिर्फ उस सीट से चुनाव लड़ने वाला वैध प्रत्याशी या कोई वोटर ही दाखिल कर सकता है, तेज बहादुर यादव न तो वाराणसी सीट से चुनाव लड़े थे और न ही वह वहां के वोटर हैं, ऐसे में उन्हें चुनाव याचिका दाखिल करने का हक़ ही नहीं है. इसी आधार पर उनकी अर्जी को सुनवाई के बिना ही खारिज कर दिया जाना चाहिए.

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