Uttar Pradesh OBC Reservation: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) का फैसला आने के बाद राज्य में सियासी घमासान मच गया है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के आयोजित होगा. इसपर यूपी सरकार ने एक बयान में कहा कि ओबीसी (OBC) को आरक्षण प्रदान करने के बाद ही स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे. इस मुद्दे पर विपक्ष ने भी सरकार को घेरा है. जानिए मामले से जुड़ी बड़ी बातें.
1. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने मंगलवार (27 दिसंबर) को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया. पीठ ने राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग को आदेश दिया कि पिछड़ा वर्ग की सीटों को सामान्य श्रेणी की सीटें मानते हुए स्थानीय निकाय चुनाव को 31 जनवरी, 2023 तक संपन्न करा लिया जाए.
2. खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि तमाम निकायों का कार्यकाल खत्म हो चुका है और कुछ का 31 जनवरी 2023 तक खत्म हो जाएगा, ऐसे में जबकि ट्रिपल टेस्ट की कार्यवाही कराना बहुत ही दुष्कर है. इसमें काफी लंबा वक्त लगेगा तो यही उचित होगा कि राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग स्थानीय निकाय चुनाव करने के लिए तत्काल अधिसूचना जारी करे.
3. अदालत के फैसले पर राज्य सरकार ने कहा कि इस मामले में आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. इसके बाद ही नगर निकाय चुनाव कराया जाएगा. सरकार ने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार अपील करेगी.
4. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन के परिप्रेक्ष्य में एक आयोग गठित कर ट्रिपल टेस्ट के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के नागरिकों को आरक्षण की सुविधा उपलब्ध कराएगी. इसके बाद नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन को सम्पन्न कराया जाएगा.
5. योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो राज्य सरकार उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील भी करेगी. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि नगर निकाय चुनाव के संबंध में कोर्ट के आदेश का विस्तृत अध्ययन कर विधि विशेषज्ञों से परामर्श के बाद सरकार के स्तर पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा, लेकिन पिछड़े वर्ग के अधिकारों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
6. यूपी की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी ने इसे पिछड़ों के हक पर कुठाराघात बताते हुए कहा है कि बीजेपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है. बहुजन समाज पार्टी ने भी फैसले के बाद बीजेपी के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी है.
7. सपा प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फैसला आने के बाद कहा कि बीजेपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर घड़ियाली सहानुभूति दिखा रही है. बहुत दुर्भाग्य है कि हमारा पिछड़ों का हक छीना जा रहा है. बीजेपी ने हमेशा आरक्षण विरोधी काम किए हैं. इन्हें संविधान की किसी भी व्यवस्था से मतलब नहीं है. बाबा साहेब अंबेडकर ने जो अधिकार दिए थे, उन अधिकारों को धीरे-धीरे बीजेपी छीनना चाहती है. उन्होंने कहा कि आरक्षण को बचाना है, बीजेपी को हटाना है.
8. बसपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार के तहत मिलने वाले आरक्षण को लेकर सरकार की कारगुजारी का संज्ञान लेने सम्बंधी हाई कोर्ट का फैसला सही मायने में बीजेपी सरकार की ओबीसी व आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को दर्शाता करता है.
9. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि जब भी सामाजिक न्याय व आरक्षण के समर्थन में पक्ष रखने की बात आती है, बीजेपी का आरक्षण विरोधी चेहरा सामने आ जाता है. उप्र के नगरीय निकाय चुनावों में आरक्षण को लेकर बीजेपी सरकार के गड़बड़ रवैए से OBC वर्ग का महत्वपूर्ण संविधानिक अधिकार खत्म होने की कगार पर है.
10. गौरतलब है कि लखनऊ पीठ ने एक पखवाड़े से रुके नगर निकाय चुनाव के मुद्दे पर शनिवार को सुनवाई पूरी कर ली थी और कहा था कि वह 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी. अदालत ने मुकदमे की प्रकृति के कारण शीतकालीन अवकाश के बावजूद मामले में सुनवाई की.
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