Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि लखनऊ विश्वविद्यालय (Lucknow University) में शिक्षकों की रिटायरमेंट उम्र 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए. न्यायालय ने यह निर्णय जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की सिंगल बेंच ने यह आदेश डॉक्टर प्रेम चंद्र मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. न्यायालय ने कहा कि सम्बंध में संशोधन तीन माह के भीतर कर लिए जाएं.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वे 65 वर्ष की आयु तक संबंधित विश्वविद्यालय में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं जारी रखने के हकदार थे और समान स्थितियों में न्यायालय की एक समन्वय पीठ से पारित तीन समान आदेशों पर निर्भर थे. याचिकाकर्ता ने रिट याचिका में दावा किया है कि वह लखनऊ विश्वविद्यालय में साइकोलॉजी प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं. जुलाई 2020 में 62 वर्ष की आयु होने पर वह रिटायर हो गए. हालांकि याचिकाकर्ता को सत्र का लाभ दिया गया था, इसलिए वह जून 2021 में रिटायर हुए थे.
लखनऊ विश्वविद्यालय कानूनों को संशोधित करने में रहा विफल
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि भारत सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Human Resource Development Ministry), उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से स्वीकृत पदों के विरुद्ध नियमित रोजगार पर शिक्षण पदों पर रहने वाले सभी व्यक्तियों के लिए अधिवर्षिता की आयु बढ़ाने का निर्णय लिया था. उक्त कालक्रम में भारत सरकार ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की सिफारिश पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों (Central University) में शिक्षकों के वेतनमान को संशोधित करने का निर्णय लिया है, जो 31 दिसम्बर 2019 में निहित वेतनमान की योजना के विभिन्न प्रावधानों के अधीन है.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस योजना के तहत लखनऊ विश्वविद्यालय सहित राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के वेतन को संशोधित किया गया था, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय अपने कानूनों को संशोधित करने में विफल रहा, ताकि शिक्षण कर्मचारियों की रिटायरमेंट की आयु को योजना के अनुरूप लाया जा सके.
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