Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गौ हत्या प्रिवेंशन एक्ट (Uttar Pradesh Prevention Of Cow Slaughter Act), 1955 के तहत आरोपी व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दे दी कि वह गौ सेवा आयोग के अकाउंट में एक महीने के भीतर 10,000 रुपये जमा करेगा.


जस्टिस प्रकाश सिंह की बेंच ने सलीम नाम के व्यक्ति की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. व्यक्ति के खिलाफ गौ हत्या प्रिवेंशन एक्ट, 1955 की धारा 3/8 के तहत केस दर्ज किया गया था. 


30 सितंबर 2022 से है जेल में
अदालत के सामने उनके वकील ने तर्क दिया कि वह निर्दोष हैं और उन्हें वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है. आवेदक का नाम FIR में नहीं है और उसे मौके पर गिरफ्तार नहीं किया गया था. वकील ने बताया कि उसका नाम केवल अन्य आरोपियों के बयान पर शामिल किया गया. पुलिस ने उसे इस केस में शामिल किया और इस मामले उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. लास्ट में ये दिखाया गया कि वह किसी भी असामाजिक गतिविधियों में शामिल नहीं है और वह किसी भी गिरोह का सदस्य नहीं है और वह 30 सितंबर, 2022 से जेल में है.


वकील ने कहा कि अगर उसे जमानत मिल जाती है, तो वह इस स्वतंत्रता का गलत प्रयोग नहीं करेगा और यूपी गौ सेवा आयोग के खाते में 10 हजार जमा करने पर भी सहमति जताई. पक्षकारों के वकील को सुनने के बाद, अदालत ने उसे जमानत पर रिहा करना उचित समझा. 


क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने कहा, "मैंने पाया है कि आवेदक को गैंग चार्ट मामले में जमानत पर रिहा किया जाता है और आवेदक के खिलाफ कुछ अन्य मामलों में भी उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, इस तथ्य के साथ कि वह 30.09.2022 से जेल में बंद है. इस प्रकार मामले पर टिप्पणी किए बिना, मैं इसे जमानत के लिए एक उचित मामला मानता हूं. आवेदक गौ सेवा आयोग के खातों में 10,000 रुपये जमा करने के लिए तैयार है."


इस साल जून में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी गौ हत्या रोकथाम एक्ट, 1955 के तहत एक मामले में एक व्यक्ति को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह जेल से रिहा होने के बाद एक महीने के लिए गौशाला में गायों की सेवा करेगा. 


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