इलाहाबाद HC का निर्देश- यूपी के 9 जिलों में 9 न्यायिक अधिकारी किए जाएं नियुक्त, नोडल अफसर के तौर पर करेंगे काम
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर नगर और गोरखपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने को कहा. निर्देश दिया कि इन शहरों के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में दिन में दो बार स्वास्थ्य संबंधी बुलेटिन जारी करें.
प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में कोरोना संक्रमण से हालात बेहद खराब होते जा रहे हैं. इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को नौ सबसे संक्रमित जिलों में नौ न्यायिक अधिकारियों को नोडल अफसर के तौर पर नियुक्त करने के आदेश जारी किए हैं. ये अधिकारी कोरोना की मौजूदा स्थिति के बारे में हर हफ्ते अपनी रिपोर्ट देंगे.
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस फैलने और आइसोलेशन सेंटर की स्थिति को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया. अदालत ने निर्देश दिया कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि हर जिले में सभी सरकारी कोविड-19 अस्पतालों और संक्रमण के इलाज के लिए निर्धारित निजी अस्पतालों और कोविड-19 केंद्रों में हर व्यक्ति की मौत की सूचना एक न्यायिक अधिकारी को दी जाए, जिसकी नियुक्ति जिला न्यायाधीश द्वारा की जाएगी.
अदालत ने लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर नगर, आगरा, गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और झांसी के जिला न्यायाधीशों से एक-एक न्यायिक अधिकारी नामित करने का अनुरोध किया, जो अपने-अपने जिलों में नोडल अधिकारी के तौर पर काम करेंगे. ये हर सप्ताह महानिबंधक को रिपोर्ट करेंगे और इस रिपोर्ट को सुनवाई की अगली तारीख तीन मई 2021 को अदालत के समक्ष पेश किया जाएगा.
"निर्वाचन आयोग के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए"
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि उसके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. पीठ ने कहा कि खबरों में लोगों ने आरोप लगाया है कि हाल में पंचायत चुनावों में कोविड-19 संबंधी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया. उसने कहा कि ऐसा लगता है कि चुनावी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों को इस घातक संक्रमण से बचाने के लिए न तो पुलिस और न ही चुनाव आयोग ने कुछ किया. अदालत ने लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, आगरा, कानपुर नगर और गोरखपुर में स्थिति सामान्य करने के लिए सरकार को तत्काल कदम उठाने को कहा.
अदालत ने निर्देश दिया कि इन शहरों के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में दिन में दो बार स्वास्थ्य संबंधी बुलेटिन जारी करने की प्रणाली लागू की जानी चाहिए, ताकि लोग मरीजों के स्वास्थ्य की स्थिति जान सकें और तीमारदार अस्पताल जाने से बच सकें. ये अस्पताल मरीजों संबंधी जानकारी देने के लिए बड़ी स्क्रीन का उपयोग कर सकते हैं.
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि सरकार इन शहरों के अपने जिला पोर्टल पर सभी अस्पतालों में कोविड-19 वार्ड और आईसीयू में भरे हुए और खाली बिस्तरों की स्थिति बताए. केवल एंटिजन जांच रिपोर्ट में व्यक्ति के संक्रमणमुक्त होने की पुष्टि ही किसी मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने का आधार नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इस तरह के मरीज दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं. उन्हें कम से कम एक सप्ताह के लिए गैर कोविड-19 वार्ड में भर्ती रखा जाना चाहिए.
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