Justice Shekhar Yadav: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव पर विपक्ष ने घृणास्पद भाषण और सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने का आरोप लगाया है. उनके खिलाफ विपक्षी सांसदों ने शुक्रवार को राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया और उन्हें हटाने की मांग की है. 


समाजवादी पार्टी के सांसद कपिल सिब्बल और कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा के नेतृत्व में सांसदों ने शुक्रवार को राज्यसभा महासचिव को महाभियोग का नोटिस सौंपा था. 


बुलाई गई बैठक 


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें अगले सप्ताह बैठक के लिए बुलाया है. बैठक 17 दिसंबर को हो सकती है. कॉलेजियम के अध्यक्ष भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना हैं. 10 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने कथित तौर पर विश्व हिंदू परिषद के कानूनी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में न्यायमूर्ति यादव के विवादास्पद भाषण पर संज्ञान लिया था और उच्च न्यायालय से “विवरण” मांगा था.


एक अधिकारी ने कहा, "न्यायमूर्ति यादव के साथ बैठक के लिए कॉलेजियम के आह्वान को अदालत की आंतरिक प्रक्रियाओं के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. इसके बाद क्या कार्रवाई होगी, यह बैठक पर निर्भर करेगा." उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति यादव अप्रैल 2026 में सेवानिवृत्त होंगे.


कार्यक्रम के दौरान जस्टिस शेखर यादव ने कही थी ये बात


रविवार को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के कार्यान्वयन का समर्थन किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि कानूनों को बहुसंख्यकों की प्राथमिकताओं के अनुरूप होना चाहिए. 


उन्होंने कहा था, 'मुझे ये बोलने में कोई गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है और यहां रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार ही देश चलेगा. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जस्टिस होकर ऐसा बोल रहे हैं. कानून तो भइया बहुसंख्यक से ही चलता है. कानून तो बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है. इस दौरान उन्होंने कहा था कि देश के लिए कठमुल्ले घातक हैं.