'सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी, लेकिन..,' इलाहाबाद HC ने अश्लील कंटेट फैलाने पर की टिप्पणी, जानिए मामला
इलाहाबाद HC ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों को सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी के बिना बोलने का अधिकार नहीं देती है. कोर्ट ने सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट फैलाने के मामले में ये बात कही.
Allahabad High Court On Freedom Of Expression: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने शनिवार (28 जनवरी) को सोशल मीडिया के संदर्भ में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर अहम टिप्पणी की. हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि सोशल मीडिया (Social Media) पर अभिव्यक्ति की आजादी नागरिकों को गैरजिम्मेदाराना बयान देने की इजाजत नहीं देती और न ही आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल का लाइसेंस देती है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा, "आजकल सोशल मीडिया विचारों के आदान-प्रदान का एक वैश्विक मंच बन गया है... आज, इंटरनेट और सोशल मीडिया जीवन के महत्वपूर्ण उपकरण बन गए हैं, जिसके माध्यम से लोग खुद की भावनाओं को व्यक्ति करते हैं, जिसके माध्यम से लोग स्वतंत्रता के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन यह विशेष जवाबदेही वाला अधिकार है."
अश्लील कंटेंट फैलाने का है मामला
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में यह टिप्पणी जस्टिस शेखर सुमन यादव ने की है. उन्होंने झांसी निवासी नंदिनी सचान की याचिका को खारिज कर दिया. नंदिनी पर सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंटे फैलाने का आरोप है. मामले के संबंध में नवादा थाने में नंदिनी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम की धारा 67 के तहत प्राथमिकी (FIR) भी दर्ज है.
आरोपी ने कहा- मुझे फंसाया जा रहा है
हालांकि, आरोपी का कहना है कि उसे झूठे तरीके से फंसाया गया है. नंदिनी ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्राथमिकी एक प्रतिवाद के रूप में दर्ज की गई है. नंदिनी ने कहा कि उसने एक व्यक्ति के मैरिज प्रपोजल को ठुकरा दिया था और इसी वजह से उस पर बेवजह के आरोप लगाए जा रहे हैं.
नंदिनी की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि हालांकि सोशल मीडिया ने अभिव्यक्ति की आजादी का दायरा बढ़ा दिया है, लेकिन यह बिना जिम्मेदारी के बोलने की आजादी के इस्तेमाल का अधिकार नहीं देता है. कोर्ट ने कहा कि एफआईआर को देखकर ऐसा लगता है कि अपराध संगीन है.
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