बुलदंशहर: एक ही जमीन का दो बार मुआवजा देकर सरकार को लगाया था करोड़ों का चूना, आज कोर्ट सुनाएगी फैसला
करोड़ों के जमीन घोटाले को लेकर 50 से ज्यादा सरकारी अफसरों पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुना सकता है. एक ही जमीन का दो बार मुआवजा देकर इन अफसरों पर करीब तीन सौ करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है.
प्रयागराज: बुलंदशहर के चार गावों में एक ही जमीन का दो मुआवजा बांटकर करोड़ों के घोटाले के मामले इलाहाबाद हाईकोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है. करीब तीन सौ करोड़ रूपये के इस घोटाले में सूबे के दर्जन भर से ज्यादा आईएएस अफसरों के साथ ही कई विभागों के पचास अफसरों के शामिल होने की संभावना है.
दरअसल, बुलंदशहर की खुर्जा तहसील के चार गांवों दशहरा खेरली, रूकनपुर, जहानपुर और नायफल उर्फ ऊंचागांव के 1725 किसानों की 969 एकड़ जमीन का अधिग्रहण यूपी सरकार ने 1991 किया था. सरकार ने अधिग्रहण के बाद यह जमीन यूपीएसआईडीसी को ग्रोथ सेंटर बनाने के लिए दे दी थी. अधिग्रहण के बदले किसानों को करीब 93 लाख रुपये का मुआवजा दे दिया गया था और ज्यादातर किसानों ने मुआवजा ले लिया था.
एक ही जमीन का दो बार दिया मुआवजा
जमीन अधिग्रहण के बावजूद यूपीएसआईडीसी ने यहां कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया. इसकी वजह से अधिग्रहीत जमीन पर किसानों और अवैध कब्जाधारकों का कब्जा बना रहा. साल 2011 में थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए यह जमीन टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कार्पोरेशन इंडिया को देने का फैसला किया गया. उस वक्त इस योजना से जुड़े अफसरों ने यूपीएसआईडीसी को मिली अधिग्रहीत जमीन पर कब्जा पाने के लिए उन्हें फिर से मुआवजा दिए जाने का फैसला किया. अफसरों ने तय किया कि कब्जा धारकों को 721 रूपये प्रति स्क्वायर मीटर की दर से मुआवजा दिया जाएगा.
पचास अफसरों ने लगाया सरकार को चूना
इस जमीन पर सरकारी अमला दोबारा मुआवजे के नाम पर करोड़ों का खेल करना चाहता था. इसमें कुछ कब्जाधारकों को थोड़ा मुआवजा दिया गया, जबकि कुछ किसानों को छोड़ दिया गया. जिन किसानों को दोबारा मुआवजा नहीं मिला, वह उसे दिए जाने की मांग को लेकर साल 2016 में इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए. कमल सिंह नाम के किसान की अर्जी पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ा. अदालत ने उस वक्त तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी को तीन सदस्यीय एसआईटी से जांच कराकर पूरे मामले का पता लगाने को कहा. आईएएस जय प्रकाश सागर, आईपीएस संजय कक्कड़ और लॉ आफिसर राजेश त्रिपाठी की सदस्यता वाली एसआईटी ने चौदह आईएएस अफसरों समेत कई विभागों के पचास से ज्यादा अफसरों को इस घोटाले में शामिल होना पाया.
हालांकि एसआईटी ने साफ़ किया था कि गड़बड़ी में किस अधिकारी की क्या भूमिका रही, इसका पता नहीं चल सका, इसलिए मामले की विस्तृत जांच की जानी जरूरी है. मामले की सुनवाई जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच में हुई. अदालत का फैसला दोपहर करीब तीन बजे होने की उम्मीद है.
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