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इलाहाबाद: निधन के 31 साल बाद महान कवियित्री महादेवी वर्मा के घर कुर्की का नोटिस

नोटिस में कहा गया है कि अगर महादेवी वर्मा ने मकान के बकाया हाउस टैक्स का पंद्रह दिनों में ब्याज समेत भुगतान नहीं किया तो उनके खिलाफ कुर्की का वारंट जारी कर दिया जाएगा.

इलाहाबाद: योगी सरकार में भी अफसरों की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के शहर इलाहाबाद में नगर निगम ने इकतीस साल पहले दुनिया छोड़ चुकीं देश की नामी कवियित्री महादेवी वर्मा के नाम मकान की कुर्की का नोटिस जारी किया है. नोटिस में कहा गया है कि अगर महादेवी वर्मा ने मकान के बकाया हाउस टैक्स का पंद्रह दिनों में ब्याज समेत भुगतान नहीं किया तो उनके खिलाफ कुर्की का वारंट जारी कर दिया जाएगा. अब नगर निगम के अफसरों को जवाब देते नहीं बन रहा है. दूसरी तरफ साहित्य से जुड़े लोगों ने इसे महान कवियित्री का अपमान बताते हुए सरकार और नगर निगम से माफी मांगने को कहा है.

इलाहाबाद शहर से यूं तो देश के तमाम नामचीन साहित्यकारों का नाता रहा है, लेकिन इस शहर को ख़ास पहचान महाकवि निराला के साथ ही हरिवंश राय बच्चन और महादेवी वर्मा के नाम से मिलती है. महादेवी वर्मा का जन्म वैसे तो यूपी के फर्रुखाबाद में हुआ, लेकिन उनका पूरा जीवन इलाहाबाद में बीता. यहीं उनकी पढ़ाई हुई. यहीं उन्होंने अध्यापन का काम किया और इसी शहर में दीपशिखा समेत अपनी ज़्यादातर रचनाओं को कागज पर उकेरा. 11 सितम्बर 1987 को इलाहाबाद के अशोक नगर मोहल्ले के अपने मकान में उन्होंने आख़िरी सांस ली थी. उनका अंतिम संस्कार भी इसी शहर में गंगा के घाट पर हुआ तो अस्थियों का विसर्जन गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम की धारा में हुआ था. देश दुनिया में बहुत सारे लोग इलाहाबाद को आज महादेवी की कर्मभूमि की वजह से भी जानते हैं.

यह अलग बात है कि जिस इलाहाबाद को महादेवी वर्मा ने एक अलग पहचान दिलाई, उस शहर ने सांसे थमने के बाद आधुनिक युग की साहित्यिक मीरा को वक्त के साथ भुला दिया. इलाहाबाद के नगर निगम में न तो शहर में किसी जगह महादेवी वर्मा की मूर्ति लगवाई, न किसी सड़क या चौराहे का नामकरण किया और न ही उनके नाम पर कभी कोई आयोजन किए. यहां तक तो गनीमत रही, लेकिन नगर निगम ने देश की इस महान कवियित्री की मौत के इकतीस साल बाद अब जो कारनामा किया है, उसने न सिर्फ साहित्य से जुड़े लोगों को गुस्से में भर दिया है, बल्कि महादेवी के परिवार वालों की आंख में आंसू भर दिए हैं.

दरअसल महादेवी वर्मा ने इलाहाबाद के पॉश इलाके अशोक नगर की नेवादा बस्ती के जिस बंगले में अपना पूरा जीवन बिताया, जहां आख़िरी सांस ली, वह उनके अपने ही नाम पर था. अपने जीवनकाल में ही उन्होंने इसे एक ट्रस्ट को दान भी कर दिया था. महादेवी का जीवन और उनकी रचनाएं अरसे से यूपी बोर्ड समेत तमाम पाठ्यक्रमों में भी है. साहित्य में थोड़ी भी दिलचस्पी रखने वाले किसी भी शख्स को यह बखूबी पता है कि महादेवी वर्मा अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन शायद महादेवी की कर्मभूमि इलाहाबाद के नगर निगम के अफसरों को यह जानकारी नहीं या फिर वह इससे जानबूझकर अंजान बने हुए हैं. तभी तो नगर निगम के टैक्स डिपार्टमेंट ने उस महादेवी वर्मा को कुर्की की धमकी के साथ बकाये का नोटिस भेजा है, जो इकतीस साल पहले ही दुनिया छोड़ चुकी हैं.

नगर निगम ने महादेवी वर्मा को जो रेड नोटिस जारी किया है, उसमे लिखा हुआ है कि उनके मकान का अट्ठाइस हजार रुपये का हाउस टैक्स बकाया है. इस पर साढ़े सोलह हजार रूपये का ब्याज है जबकि बत्तीस सौ रूपये सरचार्ज के तौर पर देने होंगे. नोटिस में साफ तौर पर लिखा है कि अगर ब्याज समेत अड़तालीस हजार रूपये की रकम पंद्रह दिन में अदा नहीं की गई तो महादेवी वर्मा के नाम मकान के कुर्की का वारंट जारी कर दिया जाएगा.

हैरान करने वाली बात यह है कि महादेवी ने अपने जीवन में ही यह बंगला एक साहित्यिक ट्रस्ट को दान कर दिया था. नगर निगम के कानून के मुताबिक गैर व्यावसायिक ट्रस्ट के दफ्तर पर हाउस टैक्स लगता ही नहीं ह. ट्रस्ट के प्रमुख लोगों में महादेवी के दत्तक पुत्र रामजी पांडेय के परिवार के लोग ही हैं, जो इसी बंगले में रहते हैं. इन लोगों का दावा है कि तकरीबन बीस साल पहले ही इन्होंने महादेवी के डेथ सर्टिफिकेट के साथ ट्रस्ट के कागजात नगर निगम दफ्तर में दाखिल कर उसका मालिकाना हक बदलने की अर्जी दी थी, लेकिन कई बार भाग दौड़ के बाद भी यह मकान आज भी नगर निगम के रिकार्ड में महादेवी वर्मा के नाम पर ही दर्ज है.

परिवार वालों का कहना है कि नगर निगम के इस रवैये से उन्हें काफी तकलीफ हुई है. घर की सबसे बुजुर्ग महिला और महादेवी के दत्तक पुत्र की पत्नी सरस्वती देवी की तबीयत बिगड़ गई है. साहित्य से जुड़े लोगों व शहर के बुद्दिजीवियों और जनप्रतिनिधियों ने इसे महान साहित्यकार का अपमान बताते हुए नगर निगम के अफसरों और यूपी की योगी सरकार से माफी मांगने को कहा है. उनका कहना है कि मौत के इकतीस साल बाद महादेवी जैसी शख्सियत को कुर्की का नोटिस भेजना बेहद शर्मनाक है.

वहीं अफसरों का कहना है, "परिवार वालों ने कोई अर्जी नहीं दी है जिसकी वजह से उनके रिकॉर्ड में मकान मालिक के तौर पर अब भी महादेवी वर्मा का ही नाम चढ़ा हुआ है. शहर में पांच हजार से ज्यादा रकम के सभी बकायेदारों को इस तरह का नोटिस भेजा गया है. महादेवी वर्मा के बारे में उन्हें जानकारी है, लेकिन जनरल सर्कुलर की वजह से नीचे के कर्मचारियों ने भूल से महादेवी के नाम की नोटिस जारी कर दिया."

नगर निगम के टैक्स सुप्रीटेंडेंट पीके मिश्र का कहना है कि इसका उन्हें भी अफसोस है और जल्द ही उनके परिवार से एक अर्जी लेकर इस गलती को ठीक कर दिया जाएगा. शहर की मेयर अभिलाषा गुप्ता ने इसे गंभीर मामला मानते हुए पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने के आदेश दिया है. उनका दावा है कि इस मामले में जांच के बाद न सिर्फ कड़ी कार्रवाई की जाएगी बल्कि सदन की अगली बैठक में महादेवी के बंगले को टैक्स फ्री करने का प्रस्ताव भी पेश किया जाएगा.

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