गिलगित-बालटिस्तान में हाल ही मे गिरफ्तार हुए दो कथित भारतीय जासूसों के मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. दरअसल, ये दोनों कश्मीरी युवक हैं जो पहले आतंकी संगठन, हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करते थे. साल 2018 से ही ये दोनों मिलिट्री-इंटेलिजेंस यानी एमआई के रडार पर थे, लेकिन हाल ही में ये दोनों गिलगित-बालटिस्तान गए थे, जहां पर हिजबुल मुजाहिद्दीन से इनका किसी बात पर मन-मुटाव हो गया था, जिसके बाद ही इन दोनों को भारतीय जासूस बताकर गिलगित-बालटिस्तान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.


हिजबुल के गाइड बन कर रहे थे काम


सूत्रों के मुताबिक, 12 जून को गिलगित-बालटिस्तान में भारतीय जासूस करार देकर गिरफ्तार किए गए युवक, नूर मोहम्मद वानी और फिरोज लोन जम्मू-कश्मीर के गुरेज के रहने वाले हैं. दोनों ही साल 2018 में अचानक गायब हो गए थे.


फिरोज के लापता होने की तो बाकायदा पुलिस में शिकायत भी दर्ज की गई थी, लेकिन एमआई को इनके बारे में जानकारी मिली थी कि ये दोनों ही आतंकी संगठन, हिजबुल मुजाहिद्दी के हैंडलर, मुश्ताक के संपर्क में थे. हैंडलर मुश्ताक से इन दोनों की दोस्ती फेसबुक पर हुई थी.


एबीपी न्यूज को मिलिट्री इंटेलीजेंस के सूत्रों से एक्सक्लूजिव जानकारी मिली है कि बाद में नूर मोहम्मद वानी और फिरोज अहमद लोन, हिजबुल के ‘गाइड’ के तौर पर काम करने लगे. गाइड के तौर पर इन दोनों की जिम्मेदारी, एलओसी पर पाकिस्तान से आने वाले आंतकियों को कश्मीर में घुसपैठ करानी थी.


सूत्रों के मुताबिक, हालांकि इस बारे में पुख्ता जानकारी नहीं है कि ये दोनों पाकिस्तान कैसे पहुंचे, लेकिन माना जा रहा है कि नेपाल के रास्ते ये दोनों पहले पाकिस्तान पहुंचे और फिर गिलगित-बालटिस्तान पहुंच गए.


काम से मना करने पर बताया भारतीय जासूस


सूत्रों के मुताबिक, माना जा रहा है कि गिलगित-बालटिस्तान में इन दोनों को हिजबुल मुजाहिद्दीन ने किसी खतरनाक काम की जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे इन दोनों ने करने से मना कर दिया. इसी से नाराज होकर हिजबुल मुजाहिद्दीन ने दोनों को ‘भारतीय जासूस’ करार देकर एलओसी के पास से गिरफ्तार करवा दिया गया.


इस बाबत पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बालटिस्तान के एसपी ने बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस कर नूर मोहम्मद वानी और फिरोज अहमद लोन की गिरफ्तारी की घोषणा की थी, लेकिन इन दोनों के पास से स्टूडेंट आई-कार्ड, कुछ करेंसी और शैंपू के पाउच के अलावा कुछ भी नहीं मिला था.


सूत्रों के मुताबिक, हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल होने से पहले नूर मोहम्मद वानी श्रीनगर में एक दुकान पर काम करता था जबकि फिरोज बांदीपुरा में विलेज डेवलपमेंट वर्कर के तौर पर काम करता था. ये दोनों ही फेसबुक पर हिजुबल के एक हैंडलर, मुश्ताक के संपर्क में आए.


हालांकि, खुफिया एजेंसियों को शक है कि मुश्ताक फेसबुक पर फर्जी एकाउंट चलाता है और उसका असली नाम कुछ और है. खुफिया एजेंसियां मुश्ताक नाम के इस शख्स को तलाश रही हैं.


पाकिस्तान ने की बदला लेने की कोशिश!


सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों कश्मीरी युवकों को भारतीय जासूस करार देकर गिरफ्तार करने से पाकिस्तान ने भारत से बदला लेने की भी कोशिश की है क्योंकि हाल ही में एमआई की मदद से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने राजधानी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन से ऑपरेट हो रहे एक जासूसी रैकेट का भांडाफोड़ किया था.


ये रैकेट हाई कमीशन में कार्यरत दो वीजा अधिकारी चला रहे थे जो दरअसल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई के एजेंट थे. इन दोनों अधिकारियों को भारत ने ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ करार देकर वापस पाकिस्तान भेज दिया था.


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