अलवर: राजस्थान के अलवर में 'भीड़तंत्र' की कथित हिंसा (मॉब लिंचिंग) में अकबर खान के मारे जाने के बाद राजस्थान पुलिस सवालों के घेरे में है. अलवर से बीजेपी के विधायक और चश्मदीदों का आरोप है कि खान की पुलिस पिटाई में मौत हुई है. विधायक ज्ञानदेव आहूजा ने दावा किया, ''गो तस्कर की मौत अस्पताल ले जाते समय हुई. मैं इस मामले में न्यायिक जांच की मांग करता हूं, जिससे यह साफ हो जाएगा कि हत्या भीड़ ने की है या फिर उसकी मौत पुलिस की पिटाई से हुई है.''
पूरे घटनाक्रम में पुलिस को सूचना देने वाले चश्मदीद नवल शर्मा ने दावा किया है कि पुलिस घटनास्थल से अकबर को जीवित ले गई थी. उन्होंने बताया कि मौके पर पहुंचे तो एक व्यक्ति खेत की मिट्टी में सना हुआ था उसे वहां से उठाकर थाना लेकर आए और उसे नहलाया गया और वह आसानी से चल पा रहा था. चश्मदीद के मुताबिक पीड़ित को पुलिस अस्पताल नहीं ले गई. कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि घटनास्थल से अस्पताल की दूरी मात्र चार किलोमीटर थी. पुलिस घटनास्थल पर करीब एक बजे पहुंची और पीड़ित को करीब चार बजे अस्पताल ले गई.
उन्होंने कहा कि उसके कपड़े भी एक शख्स द्वारा लाए गए थे और मेरे सामने ही पुलिस द्वारा उसकी पिटाई की गई थी. शर्मा ने बताया कि करीब 1 बजे पुलिस थाने में आने के बाद हम 3 बजे गायों को लेकर गौशाला छोड़ने चले गए तब वापस 4 बजे आए तो उसकी मृत अवस्था में पड़ा हुआ था. शर्मा ने आरोप लगाया कि पुलिस निर्दोष लोगों को फंसा रही है.
डॉक्टर का दावा
वहीं रामगढ़ के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के डॉक्टर हसन अली ने बताया कि उन्हें सुबह 4 बजे पता चला था और स्टाफ ने बताया कि पुलिस एक डेड बॉडी लेकर आई है. जब अस्पताल आया तो वह मृत अवस्था में था. उसके चेहरे पर किसी भी तरह के चोट के निशान नहीं थे और ना ही खून निकला हुआ था और किसी तरह से ऐसा नहीं लग रहा था उसके साथ किसी तरह के निशान हो.
उन्होंने बताया कि उन्होंने डेड बॉडी को नहीं लिया. क्योंकि सुबह वहां पर उसका पोस्टमार्टम होना था और पोस्टमार्टम में वह सभी चीजें आ जाती जिससे उनकी मौत का कारण बना. लेकिन पुलिस थाने के एक कर्मचारी ने कहा कि आप इसे अलवर रेफर कर दीजिए. क्योंकि यहां पर कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है. उसके बाद उसको अलवर के लिए रेफर किया गया.
20 जुलाई की रात को राजस्थान के मेवात निवासी खान अन्य व्यक्ति के साथ पशुओं को ले जा रहा था, तभी अलवर में लालावंडी गांव के समीप ग्रामीणों के एक समूह ने उसे रोक लिया और उसकी बेरहमी से कथित तौर पर पिटाई कर दी थी. जिसमें उसकी मौत हो गई. रामगढ़, जयपुर रेंज के अतिरिक्त महानिदेशक को इस घटना की सूचना आधी रात के बाद 12.40 बजे मिली थी. एडीजीपी हेमंत प्रियदर्शनी ने बताया, "जब पुलिस दल घटनास्थल पर पहुंचा तो उन्होंने कीचड़ में खान को घायल अवस्था में पड़ा पाया. वहां दो लोग दो गायों के साथ खड़े थे."
दावे के मुताबिक जब पुलिस पहुंची को अकबर खान जिंदा था, उसने अधिकारियों को बताया कि वह अपने साथी असलम के साथ लाडपुर से गायों को खरीद कर लाया था और वे अपने गांव जा रहे थे, तभी उन लोगों ने उन्हें गो तस्कर समझ लिया और उनपर हमला कर दिया. कीचड़ में सने खान ने बेहोश होने से पहले कहा, "मेरी हड्डियां टूट गई हैं." लेकिन उसे एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया.
तीन गिरफ्तार
अलवर जिले में पीट-पीट कर हत्या किये जाने के मामले में पुलिस ने अब तक तीन लोगों को गिरफ्तार किया है और जांच की जिम्मेदारी अतिरिक्त एसपी रैंक के एक अधिकारी को सौंपी गयी है.
इस बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि केंद्र सरकार मॉब लिंचिंग को दंडनीय अपराध के तौर पर परिभाषित करने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन की संभावनाओं पर विचार कर रही है. अधिकारी ने बताया कि एक मॉडल कानून का मसौदा तैयार करने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है जिसे राज्य सरकारें भीड़ हत्या की घटनाएं रोकने के लिए अपना सकें.
'मुस्लिम से ज्यादा सुरक्षित गाय'
राजस्थान के अलवर जिले में संदिग्ध गौरक्षकों द्वारा एक 28 वर्षीय युवक की पीट-पीटकर हत्या पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, "क्यों किसी अन्य सरकार के शासन में लिंचिंग की घटनाएं नहीं होतीं. यह क्यों बीजेपी शासित राज्यों में होता है."
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि बीजेपी के मंत्रियों का सांप्रदायिक हिंसा में कमी के बारे में दावा तथ्यों पर खरा क्यों नहीं उतरता. ऐसा प्रतीत होता है कि कई जगहों पर मुस्लिम की तुलना में गाय सुरक्षित है.
अलवर लिंचिंग पर बोले थरूर, 'मुसलमानों की तुलना में गाय ज्यादा सुरक्षित है'
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ बीजपी पर निशाना साधते हुए कहा किभीड़तंत्र फिर से अलवर में अकबर की हत्या कर गया. सत्ताधारी एक बार फिर ‘दोषियों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करेंगे’ जैसे खोखले दावे करके फिर से उन हिंसक लोगों को पुरस्कृत और गले में माला डालकर सम्मानित करेगें और ऐसी घटनाओं पर चुप रहनेवालों की चुप्पी और भी गहरी हो जाएगी. घोर निंदनीय!
BLOG: मॉब लिंचिंग-समय होत बलवान और भीड़ किसी की सगी नहीं होती!