केन्द्र सरकार की तरफ से सितंबर महीने में संसद की तरफ से पारित कराए गए तीन कृषि सुधार संबंधी कानूनों के विरोध में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और इसके आसपास किसानों का आंदोलन पिछले 41 दिनों से जारी है. इन किसानों की मांग है कि सरकार तीनों नए कृषि कानूनों को वापस ले और एमएमपी को कानून का हिस्सा बनाए. सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक सात दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला है.
इधर, तीनों कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब मं पूर्व बीजेपी के मंत्री के घर गाय का गोबर फेंकने वाले आंदोलनकारियों के खिलाफ लगाई गई धारा 307 को कैप्टन अमरिंदर सरकार ने वापस ले लिया है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से बुधवार को कहा गया- कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उस एसएचओ का भी तबादला कर दिया है, जिसने हत्या के प्रयास का केस दर्ज किया था, जिसकी एसआईटी की तरफ से जांच की जा रही है.
गौरतलब है कि दिल्ली और इसके आसपास हजारों की तादाद में किसानों की तरफ से प्रदर्शन किया जा रहा है. एक तरफ जहां सरकार का यह तर्क है कि इन तीनों नए कृषि सुधार संबंधी कानूनों से कृषि क्षेत्र में नए निवेश के अवसर पैदा होंगे तो वहीं दूसरी तरफ किसानों को डर है कि इसके जरिए सरकार एमएसपी की खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी.
अब सरकार और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता 8 जनवरी को होने जा रही है. किसानों की तरफ से यह धमकी दी गई है कि सरकार अगर उनकी मांगों को नहीं मानती है तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा.
ये भी पढ़ें: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बोले- यकीन है विरोध करने वाले किसान संगठन किसानों के हित के बारे में सोचेंगे