Amarnath Cave: अमरनाथ यात्रा करना होगा और आसान, चंद घंटों में पूरा होगा 3 दिन का सफर
BRO की ओर से अमरनाथ यात्रा को सुगम बनाने के लिए बड़ा काम किया जा रहा है. बीआरओ ने इस दिशा में गुफा से केवल 2 किमी दूरी पहले तक कच्चे रोड का निर्माण पूरा कर लिया है.

Amarnath Yatra Route Road Construction: सीमा सड़क संगठन (BRO) ने एक और बड़ी कामयाबी हासिल की है. पवित्र अमरनाथ गुफा तक अब आम वाहनों की आवाजाही भी शुरू होने की उम्मीद है. बीआरओ ने गुफा से 2 किलोमीटर दूर तक कच्ची सड़क का निर्माण पूरा कर लिया है. इससे ट्रक और छोटे पिकअप वाहनों का पवित्र गुफा तक पहुंचना आसान हो गया है जिससे मार्ग को चौड़ा करने का काम और तेजी के साथ किया जा सकेगा. बाबा बर्फानी की गुफा समुद्रतल से करीब 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है.
जम्मू-कश्मीर सरकार और अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने अमरनाथ यात्रा 2023 के लिए ट्रैक के रखरखाव का पूरा कंट्रोल बीआरओ को सौंपा गया था. भारतीय सेना के रोड विंग बीआरओ के इंजीनियर्स को अमरनाथ यात्रा के इतिहास में पहली बार इसका जिम्मा दिया गया है. केंद्रीय मंत्री ने 12 अप्रैल, 2023 को 5,300 करोड़ रुपये की लागत से पहलगाम में पवित्र गुफा मंदिर तक 110 किलोमीटर लंबे चार-लेन अमरनाथ मार्ग (सड़क) को मंजूरी देने की घोषणा की थी. अच्छी बात यह है कि सड़क निर्माण का काम इसी साल जून माह से शुरू हुआ था और सिर्फ 5 माह के भीतर ही गुफा के इतने करीब तक वाहनों को पहुंचाने में सफलता हासिल हुई है.
श्रीनगर से गुफा मंदिर तक लगेंगे सिर्फ इतने घंटे
प्रोजेक्ट के मुताबिक, 4-लेन यात्रा मार्ग परियोजना खन्नाबल से चंदनवाड़ी तक 73 किलोमीटर रूट का निर्माण 1,800 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा. यह पूरा मार्ग 2024 के आखिरी तक तैयार हो जाएगा जबकि चंदनवाड़ी से पंचतरणी और बालटाल तक 37 किलोमीटर तक के मार्ग पर 3,500 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसमें शेषनाग से पंचतरणी तक 10.8 किमी लंबी सुरंग का निर्माण भी किया जाएगा जिसको 2026 के अंत तक पूरा किया जा सकेगा. इस प्रोजेक्ट के पूरो होने के बाद अब श्रीनगर से अमरनाथ गुफा मंदिर तक की दूरी 3 दिनों की बजाय घटकर मात्र 8-9 घंटे रह जाएगी.
बता दें गुफा तक जाने के लिए प्रोजेक्ट पर किए जाने वाले ट्रैक चौड़ीकरण का काम लंबे समय से पाइपलाइन में रहा. बालटाल ट्रैक कई जगहों पर बेहद संकीर्ण रहा है. इस निर्माण कार्य को लेकर श्रद्धालु और अन्य कर्मचारियों की सुरक्षा का भी विशेष बहुत ख्याल रखा गया. किसी भी प्राकृतिक आपदा के मामले में मशीनरी को गुफा तक ले जाने के इरादे से इस ट्रैक को चौड़ा करने का काम खासतौर पर किया गया.
'वाहनों की आवाजाही अनुमति मिलने में लगेगा वक्त'
जून महीने सीमा सड़क संगठन के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने कहा था कि केंद्र सरकार की ओर से शुरू किये गए पहलगाम-संगम-बालटाल-सोनमर्ग सड़क का निर्माण न सिर्फ पवित्र गुफा को जोड़ कर यात्रियो को वहां तक सुगम रास्ता मुहैया कराना है बल्कि यह पहलगाम को सोनमर्ग से जोड़ने वाली सड़क परियोजना का भी हिस्सा होगा. हालांकि अभी सड़क को आम यातायात और सेना के वाहनों की आवाजाही के लिए अनुमति मिलने में काफी समय लगेगा.
वर्तमान में चंदनवाड़ी से पवित्र गुफा और बालटाल से गुफा तक श्रद्धालुओं को पैदल या फिर घोड़े व पालकी से यात्रा करनी होती है. आने वाले समय में सड़क प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद श्रद्धालुओं का आखिरी पड़ाव सिर्फ 2 किलोमीटर ही रह सकेगा.
पवित्र गुफा मार्ग के दो रूट बालटाल और चंदनवाड़ी
पवित्र गुफा के लिए दो मार्ग हैं जिनमें एक बालटाल और दूसरा चंदनवाड़ी पवित्र गुफा मार्ग है. चंदनवाड़ी से पवित्र गुफा तक मार्ग पर शेषनाग और पंचतरणी के बीच 10.8 किलोमीटर लंबी सुरंग बनने से यात्रियों को भूस्खलन, बारिश, हिमपात के दौरान असुविधा नहीं होगी. यात्रा बिना रोके किसी खतरे के जारी रखी जा सकेगी. पंचतरणी से पवित्र गुफा तक 5 किलोमीटर लंबी साढ़े 5 मीटर चौड़ी पक्की सड़क बनाई जा रही है. बालटाल से पवित्र गुफा का मार्ग लगभग 14 किलोमीटर लंबा है और इस सेक्शन पर भी अधिकांश जगहों पर काम तेजी से जारी है.
मौसमी परिस्थितियों की वजह से रूक सकता है काम
प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक नवंबर के पहले पखवाड़े के बाद किसी भी समय इस मार्ग पर तत्कालीन मौसमी परिस्थितियों के आधार पर काम रूक सकता है. इसलिए जो समय बचा है उसमें ज्यादा से ज्यादा काम निपटाने का प्रयास किया रहा है. इसके लिए सभी जरूरी सामान और श्रमिक उपलब्ध कराए गए हैं. चिनूक हेलीकॉप्टर की मदद से भारी मशीनों को यात्रा मार्ग के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाया गया है. पूरे सेक्शन में डोजर, खुदाई रॉक ब्रेकर और ट्रैक्टर लगाए गए हैं.
ट्रक और छोटे पिकअप वाहन किए जा रहे इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि यात्रा मार्ग के अधिकांश हिस्सों में अब ट्रक और छोटे पिकअप वाहन भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि इससे पहले दोमेल क्षेत्र से आगे इस तरह के वाहन या भारी मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया था.
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