Baba Barfani: पवित्र अमरनाथ गुफा (Amarnath Yatra) के करीब जब बादल फटा तो वहां पहले से ही बारिश हो रही थी. जैसे ही ऊपर से तेज बहाव में पानी आने की खबर लगी, वहां सुरक्षा के लिए मौजूद आईटीबीपी (ITBP) के जवानों ने कैंप (Camp) और टेंटों में मौजूद लोगों को सुरक्षित स्थान पर भेजना शुरु कर दिया. बाजार से दुकानदारों को भी पहले ही सुरक्षित स्थान पर भेज दिया था. अगर ऐसा नहीं होता तो नुकसान बहुत ज्यादा होता. ये कहना है आईटीबीपी के प्रवक्ता, विवेक पांडे (Vivek Pandey) का जिन्होनें एबीपी न्यूज से खास बातचीत में इस बात का दावा किया है.


इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के प्रवक्ता, विवेक पांडे के मुताबिक, हमारी (आईटीबीपी) की एक कंपनी गुफा के बेहद करीब सुरक्षा के लिए तैनात रहती है इसीलिए शुक्रवार की शाम 5.30 बजे बादल फटने के बाद जैसे ही तेज बहाव रुका, आईटीबीपी के जवानों ने रेस्क्यू ऑपरेशन शुरु कर दिया. शुक्रवार को 14 हजार से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा और शिवलिंग के दर्शन किए थे. इसके अलावा बड़ी संख्या में लोग यात्रा के रुट पर मौजूद थे. ऐसे में अगर समय से लोगों को चेतावनी नहीं दी होती तो नुकसान बहुत ज्यादा हो सकता था.


अभी भी लोगो को मलबे से बाहर निकाला जा रहा


जानकारी के मुताबिक, अमरनाथ गुफा के करीब वाले इलाकों से 16 लोगों के शव अबतक बरामद किए जा चुके हैं और 40 के करीब जो लोग लापता हैं उनके लिए बचाव कार्य चल रहा है. मलबे में दबे लोगों को बाहर निकालने के लिए आईटीबीपी के जवान स्पेशल इक्यूपमेंट और स्निफर ड़ॉग्स की मदद ली जा रही है. त्रासदी में घायल हुए 65 लोगों का मिलिट्री और सिविल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है.


अस्थाई रूप से रोकी गई अमरनाथ यात्रा


एनडीआरएफ यानि नेशनल डिजास्ट रिलीफ फोर्स के आईजी, एन एस बुंदेला ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में बताया कि अमरनाथ यात्रा को अस्थाई रुप से रोक दिया गया है. यात्रा के रुट में फंसे करीब 15 हजार तीर्थ-यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर भेज दिया गया है. एनडीआरएफ सहित जम्मू कश्मीर प्रशासन और अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं जिससे लापता लोगों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.


राहत और बचाव काम में जुटे सेना के जवान


शुक्रवार शाम को बादल फटने से आई तबाही के बाद से ही एनडीआरएफ और आईटीबीपी के अलावा जम्मू-कश्मीर पुलिस-प्रशासन, बीएसएफ, भारतीय सेना और वायुसेना राहत और बचाव के कार्य में जुटी हुई है. भारतीय सेना की श्रीनगर स्थित चिनार कोर (15वीं कोर) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल एडीएस औजला खुद अमरनाथ गुफा पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन मॉनिटर कर रहे हैं.


खास रडार सिस्टम का इस्तेमाल कर रही सेना


भारतीय सेना के मुताबिक, मलबे में दबे लोगों का पता लगाने के लिए खास वॉल पैनिट्रेसन रडार का इस्तेमाल किया जा रहा है. सेना इस रडार का इस्तेमाल कश्मीर घाटी में एंटी-टेरिरिस्ट ऑपरेशन में घर और दीवारों के पीछे आंतकियों की लोकेशन का पता लगाने के लिए करती है. ये रडार दीवार के पीछे स्टेटिक और मूविंग टारगेट का पता लगा सकती है. इसी रडार को मलबे के नीचे दबे लोगों का पता लगाने के लिए किया जा रहा है.


रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर वायुसेना सचेत


सेना के मुताबिक, शनिवार की सुबह मौसम साफ होने के चलते हेलीकॉप्टर (Helicopter) के जरिए घायलों को बालटाल लाया गया. सेना के एएलएच-ध्रुव और चेतक हेलीकॉप्टर को राहत कार्य (Rescue Operation) में लगाया गया है. वायुसेना (Airfoce) और बीएसएफ (BSF) के हेलीकॉप्टर भी मृतकों के पार्थिव-शरीर को श्रीनगर (Shrinagar) लाने में जुटे हैं. वायुसेना के हेलीकॉप्टर एनडीआरएफ (NDRF) के जवान और इंजीनियरिंग उपकरणों को पहुंचाने का काम करने में भी जुटे हैं. वायुसेना ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) और लद्दाख (Laddakh) स्थित अपने सभी एयर-बेस को अलर्ट पर रखा है ताकि जरुरत पड़ने पर हेलीकॉप्टर और मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को राहत और बचाव कार्यों में लगाया जा सके. वायुसेना ने 500 फूड-पैकेट भी श्रीनगर से पंचतरणी (अमरनाथ यात्रा पर रुट) तक पहुंचाने का काम किया है.


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