Amarnath Yatra 2023: इस साल की अमरनाथ यात्रा बारिश और भूस्खलन के कारण लगातार दूसरे दिन शनिवार (8 जुलाई) को भी स्थगित करनी पड़ी. यात्रा स्थगित होने के बाद बालटाल और पहलगाम स्थित सहित अन्य आधार शिविरों में फंसे अमरनाथ यात्रियों ने अधिकारियों से उन्हें निकालने का अनुरोध किया है. इसी बीच केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हम नजर बनाए हुए हैं. अभी तक क्या-क्या हुआ? बड़ी बातें- 


1.  केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने व्यक्तिगत रूप से उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (उपेंद्र) द्विवेदी और अमरनाथ श्राइन बोर्ड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) डॉ. मंदीप भंडारी से बात की है. दोनों वरिष्ठ अधिकारी स्वयं स्थिति पर नजर रखे हुए हैं.’’ 


2. बड़े पैमाने पर बारिश और भूस्खलन के बाद शुक्रवार (7 जुलाई) को भी यात्रा स्थगित कर दी गई थी. इसमें मुख्य रूप से अनंतनाग जिले के 48 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग पर यात्रा को खास तौर पर स्थगित कर दिया गया था.  इससे लगभग 50,000 तीर्थयात्रियों को कश्मीर घाटी के विभिन्न आधार शिविरों में रोकना पड़ा. लगभग 19,000 तीर्थयात्रियों को गांदरबल जिले के बालटाल आधार शिविर में रखा गया है. 


3. जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से में बृहस्पतिवार (6 जुलाई) की रात से भारी बारिश हो रही है, जबकि महागुन टॉप और अमरनाथ गुफा मंदिर के आसपास के इलाकों सहित कई ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हुई है. कुछ स्थानों पर जुलाई में 24 घंटों की अवधि में रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक एक अधिकारी ने कहा, ‘‘खराब मौसम के कारण यात्रा पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों से दूसरे दिन भी निलंबित रही. एक पुलिस अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ''घाटी में यात्रा स्थगित होने और खराब मौसम के मद्देनजर सुबह भगवती नगर आधार शिविर से यात्रियों के किसी भी नए जत्थे को (जाने की) अनुमति नहीं दी गई.


4. दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मंदिर की 62 दिवसीय वार्षिक तीर्थयात्रा एक जुलाई को अनंतनाग जिले के पहलगाम और गांदरबल जिले के बालटाल से शुरू हुई, जो 31 अगस्त को समाप्त होगी. अब तक 80,000 से अधिक तीर्थयात्री पवित्र गुफा मंदिर में दर्शन कर चुके हैं. इसी बीच मौसम विभाग ने कहा कि रविवार (9 जुलाई)  को जम्मू-कश्मीर के अधिकांश इलाकों में रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना है, लेकिन जम्मू संभाग के कुछ स्थानों पर भारी से अति भारी बारिश की संभावना है. मौसम विभाग ने मॉनसूनी हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के कारण 10 से 14 जुलाई तक बादल छाए रहने की संभावना जताई है, शाम या सुबह के समय कुछ स्थानों पर रुक-रुक कर गरज के साथ बारिश होगी। देरी से तीर्थयात्री परेशान नहीं. 


5.  तीर्थयात्री जम्मू में और जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर चंद्रकोट सहित विभिन्न स्थानों पर फंसे हुए थे, जो कई भूस्खलनों और पंथियाल सुरंग के पास सड़क के एक हिस्से के बह जाने के बाद यातायात के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन खराब मौसम भी श्रद्धालुओं के उत्साह को कम नहीं कर पाया है. उत्तर प्रदेश के कानपुर निवासी दीपू ने भगवती नगर आधार शिविर में पीटीआई से कहा कि मुझे आज (शनिवार) यात्रा में शामिल होने के लिए घाटी के लिए रवाना होना था, लेकिन राजमार्ग बंद होने और मौसम के कारण आगे की यात्रा की अनुमति नहीं मिली. कई दोस्तों के साथ आए दीपू ने कहा कि वे मौसम साफ होने का इंतजार करेंगे और अपनी यात्रा पूरी करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां ‘बाबा बर्फानी’ के बुलाने पर आए हैं और दर्शन किए बिना वापस नहीं जाएंगे.


6. श्रद्धालुओं को बालटाल और नुनवान आधार शिविरों पर भी रोका गया.  भारी बारिश के बाद यात्रा बालटाल यात्रा मार्ग पर भूस्खलन हुआ है, लेकिन किसी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है. पीटीआई से बात करते हुए गाजियाबाद (उप्र) निवासी सूरज शर्मा ने कहा कि वह आधार शिविर में तीर्थयात्रियों के लिए स्थानीय प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्था से संतुष्ट हैं. 


7. अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि अमरनाथ यात्रियों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करने के वास्ते सेना जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर हर रोज विशेष क्षेत्रों में ड्रोन, निगरानी उपकरण और खोजी कुत्तों के साथ गश्त कर रही है. उन्होंने बताया कि यह अभियान एक जुलाई से शुरू हुई 62 दिवसीय यात्रा के सुचारू संचालन के लिए एक बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत चलाया जा रहा है.


8. एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने पीटीआई से कहा कि श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के वास्ते सेना जम्मू से बनिहाल और उससे आगे तक यात्रा के समूचे मार्ग पर गहन गश्त लगा रही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा को लेकर इस तरह का एहतियात आतंकवादियों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर आने और तीर्थयात्रियों के काफिले को निशाना बनाने से रोकने में मदद करेगा.


9. पीटीआई ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि  ड्रोन, मेटल डिटेक्टर और निगरानी उपकरण जैसे आधुनिक हथियारों और श्वान दस्ते से लैस जवान अपनी सुरक्षा ड्यूटी के तहत राजमार्ग और कुछ निश्चित स्थानों पर लगातार नजर बनाए हुए हैं. नियमित रूप से जमीनी स्थिति का आकलन करते हैं. 


10. पीटीआई के मुताबिक,  कई श्रद्धालु मौसम के बेहतर होने तक प्रतीक्षा करने और उसके बाद यात्रा जारी रखने को लेकर दृढ़ हैं. पंजाब के दो तीर्थयात्रियों ने कहा कि वे बारिश के थमने का इंतजार कर रहे हैं और प्रार्थना कर रहे हैं कि वे अपनी तीर्थयात्रा फिर से शुरू कर सकें. नाथल के पास भूस्खलन का सामना करने वाले तीर्थयात्रियों में से एक राहुल ने कहा कि वह किसी तरह बचने में सफल रहा और यहां पंथाचौक आधार शिविर तक पहुंच गया. 


इनपुट- भाषा से भी. 


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