सरकार से 'निंदा नहीं एक्शन' की मांग, अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद गुस्से में देश
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में अमरनाथ के दर्शन करके लौट रहे श्रद्धालुओं की बस पर कल अनंतनाग में हमला हुआ. 7 लोगों की मौत हो गई. 15 साल बाद अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमला हुआ है. गौरतलब है कि पहली बार मोदी सरकार के दौरान सीधे-सीधे नागरिकों पर हमला हुआ है. देश गुस्से से उबल रहा है. लेकिन, सरकार और सभी दलों के नेता निंदा की राजनीति कर रहे हैं. लोग पूछ रहे हैं कि निंदा ही करते रहोगे तो एक्शन कब करोगे ? अमरनाथ हमला: देश भर में प्रदर्शन, लोगों ने जलाए पाकिस्तान के पुतले
पिछले 15 साल से अमरनाथ यात्रा निर्विघ्न चल रही थी. आतंक का साया तो कभी हटा नहीं लेकिन ये भी सच है कि पिछले 15 साल में आतंक अमरनाथ यात्रा को छू नहीं पाया. आतंकवादी को तो नहीं रोक सकते लेकिन आतंकी हमले के बाद सरकारी 'निंदा' की रस्मअदायगी के खिलाफ देश में माहौल बन गया है. सरकार से 'निंदा नहीं एक्शन' की मांग हो रही है. लोग पूछ रहे हैं कि जवानों के सिर के बदले सिर लाने का वादा कब होगा पूरा ?
अमरनाथ यात्रियों पर हमले की घटना ऐसे वक्त हुई है जब जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के नाश के लिए सरकार और सेना जबर्दस्त एक्शन का दावा कर रही है. सेना ने पिछले पांच सालों में कुल 622 आतंकियों को ढेर किया है. इसमें 483 आतंकी मोदी सरकार के वक्त मारे गए.
आतंक के नाश के आंकड़े :
- सेना ने 2012 में 72 आतंकियों को मार गिराया था. - 2013 में 67 आतंकियों को मार गिराया था. - 2014 यानी जब पीएम मोदी ने सरकार की कमान संभाली तब से ये आंकड़ा 100 के पार जाने लगा. - 2014 में 110 आतंकी मारे गए. - 2015 में सेना ने 113 आतंकियों को ढेर हुए - 2016 में 165 आतंकियों को मारा गया. - इस साल सिर्फ 6 महीने में अब तक 95 आतंकियों को मौत के घाट उतारा जा चुका है. - इसमें आतंक के कई पोस्टर बॉय बुरहान वानी, सबजार बट्ट, जुनैद मट्टू का खात्मा हो चुका है.
बीजेपी का तर्क है कि आतंक के खिलाफ जो एक्शन सरकार ने लिया है उसी का नतीजा है कि अमरनाथ यात्रियों को आतंक का शिकार बनाया गया है. बीजेपी की ये दलील तो ठीक है कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और जम्मू कश्मीर में आतंक के मददगारों पर मोदी सरकार ने एक साथ सर्जिकल स्ट्राइक की है. लेकिन, सर्जिकल स्ट्राइक से आतंक पर अंकुश नहीं लग पाया.
आतंकी ऑपरेशनों और आतंकी हमलों में 2014 से लेकर अब तक 103 नागरिक मारे गए. जबकि सीमा की सुरक्षा और आतंकी हमले में 220 जवान शहीद हुए. पत्थरबाजी की घटनाओं को छोड़ दें भी तब भी जनवरी से जून तक जम्मू कश्मीर 124 आतंकी वारदातें हुईं. पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर में घुसपैठ की भी इतनी ही घटनाएं यानी 124 हुईं.
बड़े आतंकी हमलों में उरी में सेना के कैंप पर सितंबर 2016 में हमला हुआ. पठानकोट एयरबेस पर जनवरी 2016 में हमला हुआ और अब अमरनाथ यात्रियों को 15 साल में पहली बार निशाना बनाया गया.
BLOG: अमरनाथ हमले को मोदी सरकार की विफलता कहिए
मोदी राज में ये पहली बार हुआ है जब आतंकी हमले में नागरिकों को निशाना बनाया गया है. इस घटना पर बीजेपी का समर्थन करने वाले वाले संगठन भी बिफर पड़े हैं. विश्व हिंदू परिषद के प्रवीण तोगड़िया तो कह गए कि 'पाकिस्तान का बहाना बनाया जा रहा है. सरकार की इच्छाशक्ति में ही प्रॉब्लम है.'
आरएसएस ने ट्वीट कर लिखा है कि 'देश इस कायरतापूर्ण हमले से डरने वाला नहीं है. हम सरकार से मांग करते हैं कि इन आतंकवादियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए.' इस बीच आतंकी हमले के बाद भी अमरनाथ यात्रियों का उत्साह नहीं टूटा है. अनंतनाग में आतंकी हमले की अगली सुबह 105 वाहनों में सवार 3 हजार 289 श्रद्धालु गुफा के लिए रवाना हो गए. इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने साफ कहा था कि यात्रा बंद नहीं होगी. मिलिए दिलेर ड्राइवर सलीम से जिन्होंने बचाई अमरनाथ यात्रियों की जान
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