जम्मू: इस साल की अमरनाथ यात्रा को लेकर श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और यात्रा के दौरान लंगर लगाने वाले संगठनों के बीच ठन गई है. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने हाल ही में एक आदेश जारी कर इस यात्रा के दौरान लंगर लगाने वाले सभी संगठनों को पिछले 3 साल की ऑडिटेड बैलेंस शीट जमा करवाने को कहा है.
इस साल 28 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के शुरू होने से पहले ही इस यात्रा को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. यह विवाद अमरनाथ यात्रा का संचालन करने वाली अमरनाथ श्राइन बोर्ड के उस आदेश के बाद खड़ा हुआ है, जिसमें श्राइन बोर्ड ने इस साल यात्रा के लिए लगाए जाने वाले सभी लंगर संगठनों को अपने पिछले 3 साल की ऑडिटेड बैलेंस शीट जमा करवाने कहा है.
इसके साथ ही श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने सभी लंगर संगठनों को यह भी हिदायत दी है कि अगर उन्हें किसी समस्या का समाधान करवाना है, तो वह बोर्ड के पास अपनी किसी एसोसिएशन के माध्यम से नहीं आ सकते. श्राइन बोर्ड के इस आदेश के बाद अब लंगर लगाने वाले विभिन्न संगठनों ने कोर्ट में गुहार लगाई है और इसे हिंदू धर्म में हस्तक्षेप बताया है. लंगर संगठनों ने कोर्ट में दलील दी है कि जो भी संस्था अमरनाथ यात्रा के लिए लंगर लगाती है, वह इस लंगर में लगने वाली सामग्री का अधिकतर हिस्सा दान या गुप्त दान से हासिल करते हैं, जिसका ऑडिट करना मुश्किल है.
इन संगठनों ने कोर्ट में यह भी दलील दी है कि लंगर लगाने वाले अधिकतर लोग साधु संन्यासी हैं, जो अपने मठों में लोगों द्वारा दिए गए दान से लंगर चलाते हैं और ऐसे में इस दान का हिसाब रखना मुश्किल है. जम्मू में पिछले करीब 3 दशकों से अमरनाथ यात्रियों के लिए लंगर लगाने वाली शिवसेना का आरोप है कि सरकार इस आदेश के जरिए हिंदू धर्म में अपना हस्तक्षेप बढ़ा रही है.
शिव सेना ने दावा किया है कि पिछले 3 दशकों से उनके पास लोग आटा, चावल दाल और दूसरी सामग्री का दान देते हैं, जिसका ऑडिट करना मुश्किल है. शिवसेना ने यह भी दावा किया है कि अगर सरकार को किसी लंगर संगठन को लेकर कुछ शंकाएं हैं, तो उन शंकाओं की दूसरी एजेंसियों से जांच करवाई जा सकती है, बजाय इसके कि पूरे लंगर पर इस तरह के आदेश थोपे जाएं. सरकार के इस आदेश से अमरनाथ यात्रा के लिए दान देने वाले लोगों को भी झटका लगा है. इस यात्रा में लंगर लगाने वालों को दान देने वाले इन लोगों का आरोप है कि वह साल भर इस यात्रा का इंतजार करते हैं और अगर सरकार इस तरह के आदेश निकालती है तो यह उनकी आस्था पर चोट है.