कोलकाता: नोबेल पुरस्कार विजेता दिग्गज अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने देश में विरोध और बहस की जगह ‘सीमित’ होने पर चिंता जताई है और दावा किया कि लोगों पर मनमाने तरीके से देशद्रोह का आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजा जा रहा है. अमर्त्य सेन पहले भी कई बार बीजेपी की आलोचना कर चुके हैं. पार्टी ने उनके आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया.


अमर्त्य सेन ने तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया और कहा कि कानूनों की समीक्षा करने का वाजिब आधार है. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार जिस व्यक्ति को पसंद नहीं करती है उसे सरकार के ज़रिए आतंकवादी घोषित किया जा सकता है और जेल भेजा जा सकता है. जन विरोध और मुक्त चर्चा का स्थान सीमित कर दिया गया है या खत्म कर दिया गया है. देशद्रोह का आरोप लगाकर बिना मुकदमे के लोगों को मनमाने तरीके से जेल भेजा जा रहा है.’’


प्रख्यात अर्थशास्त्री ने कहा कि कन्हैया कुमार, शेहला रशीद और उमर खालिद जैसे कार्यकर्ताओं से दुश्मनों की तरह बर्ताव किए जा रहे हैं. उन्होंने दावा किया, ‘‘शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से प्रदर्शन करने वाले कन्हैया या खालिद या शेहला के साथ युवा और दूरदर्शी नेता की तरह व्यवहार करने की बजाए उनके साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार किया गया है. वे हमारी राजनीतिक संपत्ति की तरह हैं, जिन्हें शांतिपूर्ण तरीके से गरीब समर्थक पहल जारी रखने देना चाहिए.’’


चर्चा और असहमति का स्थान कथित तौर पर सीमित होने संबंधी सेन की टिप्पणी पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उनके आरोप निराधार हैं और उन्हें देश को बदनाम नहीं करना चाहिए.


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार के खिलाफ विचार रखने के लिए बीजेपी द्वारा अमर्त्य सेन को निशाना बनाया जा रहा है. बनर्जी ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार के खिलाफ विचार रखने के लिए सेन को निशाना बनाया जा रहा है. यह बिल्कुल अस्वीकार्य है. राजनीतिक विचार रखने के लिए जिस तरह मुझ पर निशाना साधा जा रहा है, उसी तरह उनपर भी हमले किए जा रहे हैं.’’


विजयवर्गीय ने सेन के दावों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आरोप बेबुनियाद हैं. सेन नामी अर्थशास्त्री हैं, लेकिन हम सब उनकी विचारधारा और बीजेपी के प्रति उनके दृष्टिकोण से अवगत हैं. सेन को देश को बदनाम करने से परहेज करना चाहिए.’’


अमर्त्य सेन ने कहा कि केंद्र के तीनों कृषि कानूनों की समीक्षा करने के लिए वाजिब वजह हैं. उन्होंने कहा, ‘‘तीनों कानूनों में संशोधित करने के लिए ठोस कारण हैं. लेकिन सबसे पहले चर्चा करनी चाहिए. पेश ऐसे किया गया कि बड़ी छूट दी गई है, जबकि असल में थोड़ी ही रियायत दी गई है.’’


सितंबर में लागू केंद्र के तीनों कानूनों को निरस्त करने के लिए दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर पिछले एक महीने से हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि कानूनों के संबंध में अमर्त्य सेन की टिप्पणी के बारे में विजयवर्गीय ने कहा कि सरकार ने मुद्दे के समाधान और किसान संगठनों की चिंताओं को दूर करने के लिए हरसंभव कदम उठाए हैं.


अमर्त्य सेन ने कहा कि देश में वंचित समुदायों को फायदा पहुंचाने वाली नीतियों को सही से लागू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘‘कई नीतियों के बावजूद बाल कुपोषण बढ़ता जा रहा है. इससे निपटने के लिए हमें अलग तरह की कई नीतियों की जरूरत है.’’


कोविड-19 से निपटने में देश के प्रयासों के बारे में उन्होंने कहा कि शारीरिक दूरी बनाए रखने की महत्ता पर जोर देकर सही किया गया, लेकिन बिना नोटिस के लॉकडाउन लागू करना सही नहीं था. लॉकडाउन के दौरान लोगों के बेरोजगार होने और मजदूरों के पलायन पर उन्होंने कहा, ‘‘गरीब लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज किया गया.’’


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