Ambani Security Matter: अंबानी परिवार को दी गई सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया है. सॉलिसीटर जनरल ने मसला सुप्रीम कोर्ट में रखते हुए कहा था कि केंद्र की तरफ से मिली रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने सुरक्षा दी है. इसका त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं. फिर भी वहां सुनवाई हो रही है.
उद्योगपति मुकेश अंबानी की सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए उन्हें Z+ सुरक्षा दी गई है. उनके परिवार के कुछ सदस्यों को भी Y+ सुरक्षा दी गई है. बिकास साहा नाम के याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के ज़रिए इसे त्रिपुरा हाई कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका को स्वीकार करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार को खतरे को लेकर किए गए आकलन का ब्यौरा देने के लिए कहा था. हाई कोर्ट ने कहा था कि मंत्रालय के अधिकारी व्यक्तिगत रूप से पेश होकर जानकारी दें.
सुरक्षा महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई- केंद्र सरकार
इसे चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सुरक्षा महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई है. इसके खिलाफ पहले दाखिल हुई याचिका को बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुके हैं. इस पूरे मामले का त्रिपुरा से कोई संबंध नहीं है. सरकार ने यह भी कहा था कि किसी परिवार को सुरक्षा दिए जाने का विरोध जनहित याचिका का विषय नहीं हो सकता.
22 जुलाई को अगली सुनवाई
जस्टिस सूर्य कांत और जमशेद पारदीवाला की बेंच ने हाई कोर्ट की तरफ से 31 मई और 21 जून को जारी आदेशों पर रोक लगा दी. इन आदेशों में गृह मंत्रालय से अंबानी परिवार की सुरक्षा से जुड़ा ब्यौरा मांगा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर नोटिस जारी करते हुए 22 जुलाई को सुनवाई की बात कही है.
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