भारत और चीन के बीच बीते दो हफ्ते से अधिक वक्त से जारी सीमा तनाव के बीच दिल्ली में चीनी राजदूत ने मुद्दों को सुलझने और अच्छे पड़ोसी बनने की बात कही है. चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने एक वीडियो संवाद में इस बात पर जोर दिया कि दोनों देश एक दूसर के लिए अवसर हैं न कि खतरा. उन्होंने कहा कि ड्रेगन और एलिफेंट का साझा नृत्य ही दोनों देशों के लिए एकमात्र विकल्प है.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी फौजें बढ़ाते चीन के राजदूत की तरफ से यह बयान ऐसे वक्त आया जब अमेरिका समेत कई देशों की भारत-चीन सीमा पर नजरें हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तो दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं. राजदूत सुन वीदोंग ने कहा कि हमें एक दूसरे के विकास को सही तरीके से देखने और पारस्परिक रणनीतिक विश्वास बढ़ाने की जरूरत है. ऐसे में मतभेदों को सही ढंग से देखा जाना जरूरी है ताकि मतभेद द्विपक्षीय सहयोग की समग्र स्थिति के आड़े न आएं.
पहले कोरोना संकट और फिर सीमा विवाद के बीच भारत में आम लोगों की नाराजगी के निशाने पर आ रहे चीन के राजदूत के मुताबिक दोनों देशों को लगातार संवाद बनाए रखते हुए धीरे धीरे अपने सभी मतभेदों को दूर करना चाहिए. किसी भी नजरिए से, चीन और भारत को सौहार्दपूर्ण सह-अस्तित्व वाला अच्छा पड़ोसी होना चाहिए और अच्छे सहयोगियों की तरह हाथ में हाथ डाल आगे बढ़ सकें.
चीनी राजदूत ने क्या कहा
भारत और चीन के बीच साझेदारी के लिए अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले जुमले "ड्रैगन एंड एलीफैंट डांसिंग टुगेदर" का हवाला देते हुए राजदूत वीदोंग का कहना था कि यही दोनों देशों के लिए एकमात्र सही विकल्प है. क्योंकि यही हमारे दो देशों और दो लोगों के मौलिक हितों के लिए कारगर है. दो प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, चीन और भारत को निवेश, उत्पादन क्षमता और अन्य क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करना चाहिए और सामान्य हितों का विस्तार करना चाहिए.
इस कड़ी में चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बनी सहमति के मुताबिक भारत-चीन मित्रता के लिए युवाओं से आगे आने को भी कहा. इसके लिए उन्होंने तीन सूत्रीय सुझाव दिए. पहला, दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति को लागू करने के लिए ठोस प्रयास करने सभी पक्षों से आह्वान करें. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में साझेदारी बढ़ाना ताकि चीन और भारत के बीच परस्पर फायदे का सहयोग बढ़ सके. तीसरा, लोगों को लोगों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सभ्यताओं के बीच संवाद को मजबूत किया जाए.
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