क्या अंबेडकर जयंती को जस्टिस डे के रूप में मनाने से दलितों का दर्द दूर हो जाएगा?
क्या अंबेडकर जयंती को जस्टिस डे के रूप में मनाने से दलितों का दर्द दूर हो जाएगा, या फिर यूपी के बाद बिहार में बाबा साहेब के नाम में राम जोड़ देने भर से दलितों की जिंदगी में रामराज्य आ जाएगा. असल में दलित मौजूदा वक्त में वोट बैंक का सवाल बनकर रह गया है.
नई दिल्ली: संविधान निर्माता और दलितों के मसीहा बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की आज जयंती है. पूरे देश में अलग-अलग जगहों पर अंबेडकर जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में थे तो वहीं बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिल्ली में बाबा साहेब को श्रद्धांजली दी.
इसके अलावा यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को ‘दलित मित्र’ की उपाधि दी गई तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए उन्होंने बाबा साहेब को नमन किया. शनिवार की दोपहर को मायावती ने भी बाबा साहेब को श्रद्धांजलि दी.अंबेडकर जयंती आज: पीएम मोदी ने कहा- जय भीम, सभी पार्टियों को याद आए दलित मसीहा
अब सवाल ये है कि बाबा साहेब के नाम पर राजनीति तो हर कोई कर रहा है लेकिन देश के दलितों का दर्द कौन समझेगा? मध्य प्रदेश के सीहोर में एक दलित की शादी में पुलिस के पहरे दे रही थी क्योंकि दबंग बारात नहीं निकलने दे रहे थे. वहीं दूसरी घटना वासुदेव गांव की है जहां 25 दलित परिवार 17 साल से जमीन के लिए दबंगों से जंग लड़ रहे हैं. देश 21वीं सदी में जी रहा है और दलितों को दबंग बारात नहीं निकालने दे रहे हैं.Birthday Special: आखिर क्यों लगता है बाबा साहब भीमराव के नाम के पीछे 'अंबेडकर'
सवाल घूमकर वहीं आकर रुक जाता है कि क्या अंबेडकर जयंती को जस्टिस डे के रूप में मनाने से दलितों का दर्द दूर हो जाएगा, या फिर यूपी के बाद बिहार में बाबा साहेब के नाम में राम जोड़ देने भर से दलितों की जिंदगी में रामराज्य आ जाएगा. असल में दलित मौजूदा वक्त में वोट बैंक का सवाल बनकर रह गया है.अंबेडकर जयंती पर राष्ट्रपति बोले- समाज को "समर" की नहीं, "समरसता" की जरूरत
2014 में दलितों का सबसे ज्यादा वोट बीजेपी को मिला. मोदी पीएम बने और फिर देश में दलितों के खिलाफ माहौल बनने लगा. इसी दौरान पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट का एससी एसटी एक्ट को लेकर आदेश आया जिसने दलितों को गुस्से से भर दिया.आयुष्मान भारत योजना लॉन्च, मोदी बोले- अंबेडकर की वजह से आज एक पिछड़ा बना PM
कहीं दलितों पर जुल्म हुए तो कहीं मूर्तियों को निशाना बनाया जाने लगा. कुछ लोग इसे हिंदुओं को तोड़ने की साजिश कहते हैं तो कुछ लोग बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष का प्लान बता रहे हैं. अब इसके पीछे की वजह जो भी हो लेकिन मोहरा दलित ही बन रहा है.