Ambulift For Handicapped: देश के 20 हवाईअड्डों पर दिव्यांगों या चलने-फिरने में परेशान यात्रियों को सीधा फ्लाइट में पहुंचने के लिए जरूरी उपकरण ‘एंबुलिफ्ट’ लगाया गया है. केंद्र सरकार के दिव्यांग मामलों के विभाग ने यह जानकारी दी है. अधिकारियों ने बताया कि इन हवाई अड्डों में विजयवाड़ा, कानपुर, पोर्ट ब्लेयर, जोधपुर, बेलगाम, सिलचर, झारसुगुडा, राजकोट और हुबली शामिल हैं. केंद्र के सुगम्य भारत अभियान के तहत चलने-फिरने में परेशान यात्रियों, व्हीलचेयर पर चलने वाले 'दिव्यांग' यात्रियों और अपनी हवाई यात्रा के दौरान स्ट्रेचर पर रहने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए यह पहल की गई है.


विभाग ने यह भी कहा कि भारत के 35 अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों और 69 घरेलू हवाईअड्डों में से 55 अब 'दिव्यांगजन' सुलभ सुविधाओं से सुसज्जित हो गए हैं. इसके अलावा 41 हवाईअड्डे पूरी तरह से एअरोब्रिज से सुसज्जित हैं. 20 हवाईअड्डों को सुगम्य भारत अभियान के तहत 'एम्बुलिफ्ट' से सुसज्जित किया गया है. दिव्यांग यात्रियों, चलने-फिरने में परेशान यात्रियों या दिव्यांग हवाई-यात्रियों, या व्हीलचेयर का उपयोग करने वाले लोगों या बुजुर्गों के लिए एम्बुलिफ्ट का उपयोग बोर्डिंग वाहन के रूप में किया जाएगा.


केंद्रीय दिव्यांगता सलाहकार बोर्ड ने सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को जुलाई के अंत तक सार्वजनिक भवनों का आकलन करने को कहा है, जिन्हें सुगम्य भारत अभियान के तहत दिव्यांगों के लिए ''कम से कम संभव समय'' में सुगम बनाया जाना है. सुगम्य भारत अभियान का उद्देश्य देश के दिव्यांग समुदाय की सेवा करना है.


दिव्यांग व्यक्तिय अधिकार अधिनियम, 2016 में इस साल 14 जून तक सभी मौजूदा सार्वजनिक भवनों को सुगम बनाने के लिए पांच साल की समयसीमा प्रदान की गयी थी. अब तक 585 राज्य भवनों और 1,030 केंद्र सरकार के भवनों को दिव्यांगों के लिए बाधा मुक्त बनाया गया है.


कई बार गंभीर मरीज उपचार के दौरान कई तरह के लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर होते हैं. ऐसे में स्ट्रेचर के सहारे रैंप के जरिए मरीज को विमान में चढ़ाने और उतारने के दौरान झटका लगने का खतरा बना रहता है. एंबुलिफ्ट नाम के इस उपकरण के जरिए क्रिटिकल केयर के मरीजों को भी विमान में ले जाने में मदद मिलेगी. एंबुलिफ्ट के जरिये विमान की ऊंचाई तक बिना किसी विशेष स्पंदन के मरीज को ले जाया जा सकेगा. एंबुलिफ्ट एक अटेंडेंट के अलावा दो व्हील चेयर या एक स्ट्रेचर की क्षमता वाला हो सकता है और इसे जमीन से आठ मीटर ऊपर तक उठाया जा सकता है. यह एंबुलेंस और लिफ्ट का मिला जुला स्ट्रक्चर है.