(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
कोरोना के बढ़ते खतरे के बीच कश्मीर में Tulip Festival का एलान, सरकार के फैसले पर उठ रहे सवाल
कश्मीर घाटी में हर दिन कोरोना के आंकड़े बढ़ने लगे हैं और मार्च महीने में संक्रमण में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सबसे बड़ी चिंता इस बात से है कि कश्मीर घूमने आए पर्यटकों में भी कोरोना पाया गया है.
श्रीनगर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच जहां सरकार स्कूल और कॉलेज बंद कर रही है, वहीं जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग ने कश्मीर में पर्यटन को बढ़ाने के लिए ट्यूलिप फेस्टिवल का आयोजन करने की घोषणा कर दी है. 3-8 अप्रैल तक होने वाले इस "ट्यूलिप फेस्टिवल" में एक लाख लोगों के आने का अनुमान लगाया जा रहा है. लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं.
इस ट्यूलिप फेस्टिवल का उद्धघाटन जम्मू-कश्मीर के उपराजयपाल मनोज सिन्हा करेंगे. इसमें पर्यटक और स्थानीय लोग को बड़ी संख्या में शामिल हों, इसके लिए फेस्टिवल में कई इंतेज़ाम भी किए गए हैं. ट्यूलिप गार्डन के अंदर विभिन विभागों और निजी कारोबारियों के 25 स्टॉल होंगे, जहां कश्मीर की संस्कृति, हस्तकला, परंपरा, खान पान और शिल्प कला को दर्शाया जाएगा.
लेकिन कश्मीर घाटी में हर दिन कोरोना के आंकड़े बढ़ने लगे हैं और मार्च महीने में संक्रमण में 300 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सबसे बड़ी चिंता इस बात से है कि कश्मीर घूमने आए पर्यटकों में भी कोरोना पाया गया है. इसीलिए ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन को कोरोना प्रोटोकॉल के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा.
ट्यूलिप गार्डन में पहले 5 दिन में 48 हज़ार लोगों के आने से इस बात का अंदाज़ा लग गया है कि यह बाग लोगों को आकर्षित कर रहा है. इसीलिए बड़ी संख्या में लोग ट्यूलिप फेस्टिवल में आएंगे. इसी को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने बड़ी संख्या में लोगों के आने की सभावन के चलते आने-जाने के लिए 'ट्रैफिक प्लान' भी बनाया है.
कोरोना से लड़ने वाले कश्मीर के एक प्रमुख डॉक्टर डॉ नवीद शाह के अनुसार यह फैसला कश्मीर घाटी के लिए घातक बन सकता है और इसी से संक्रमण कई गुना तेज़ी से फैलने की पूरी सम्भावना है.
श्रीनगर निवासी मुदस्सिर अहमद का कहना है कि एक तरफ हम लोगों को संक्रमण से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की बात करते हैं और दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोगों को एक जगह बुलाकर संक्रमण को एक तरह से बढ़ावा दे रहे हैं. यह बहुत खतरनाक हो सकता है , जहां बाकी राज्य लॉकडाउन की बात कर रहे हैं, हम अपने लोगों को कोरोना की तरफ ढकेल रहे हैं.
पिछले हफ्ते महाराष्ट्र से आए एक बुज़ुर्ग की अस्पताल में कोरोना से मृत्यु हुई और उसके परिवार के कई सदस्य अस्पताल में भर्ती हुए. जिसके बाद श्रीनगर में टेस्टिंग को लेकर सवाल उठे. परिवार का तीन दिन पहले हवाई अड्डे पर टेस्ट हुआ था, जो निगेटिव आया था. चिंता इस बात से है कि हवाई जहाज़ से आने वाले लोगों में 900 संक्रमित केस सिर्फ मार्च महीने में मिले.
उपराज्यपाल के सलाहकार बसीर खान ने गुरुवार को श्रीनगर में बैठक कर ट्यूलिप फेस्टिवल के आयोजन को लेकर हो रही तैयारियों की समीक्षा की और अधिकारियों को निर्देश जारी किए. इन निर्देशों में आने वाले सभी लोगों और पर्यटकों पर कोरोना प्रोटोकॉल के पालन करने पर ज़ोर दिया गया है.
लेकिन लोगों के मास्क ना पहनने और कोरोना नियमों की अनदेखी के चलते बड़ी संख्या में लोगों के ट्यूलिप फेस्टिवल में आने से संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ सकता है. पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग लद्दाख की तरह कश्मीर आने वाले लोगों का हवाई सफर से पहले RT-PCR टेस्ट करवाना अनिवार्य करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस मामले पर ख़ामोश है.
वहीं, कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते कश्मीर घाटी में एक दर्जन स्कूल बंद कर दिए गए हैं, जहां पर शिक्षक और छात्र कोरोना सक्रमित पाए गए. जबकि बाकी स्कूलों ने भी अगले तीन दिनों तक स्कूल बंद करने का खुद ही फैसला लिया है. इसके साथ-साथ कश्मीर यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी (NIT SRINAGAR) और सेंट्रल यूनिवर्सिटी को भी बंद करके छात्रों को हॉस्टल खाली करने या फिर हॉस्टल के अंदर ही रहने का आदेश जारी किया गया.
ऐसे में जहां हर दिन 400-500 मामले रोज़ सामने आने लगे हैं. ट्यूलिप फेस्टिवल का आयोजन मुसीबत को दावत देने जैसा है. क्योंकि ट्यूलिप के फूलों के साथ फोटो लेते समय सभी पर्यटक मास्क का इस्तेमाल नहीं कर रहे और पर्यटकों की नाराज़गी से डरते हुए अधिकारी भी इनको मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग पर ज़ोर नहीं दे रहे.