(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
COVID-19 और सीएम पद की कुर्सी पर मंडरा रहे संकट के बादल के बीच उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी से की बात
पिछले साल 28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने सीएम पद की शपथ ली थी. छह महीने के भीतर उन्हें विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य होना होगा. एक महीने के भीतर ये समयसीमा खत्म होने वाली है.
मुंबई: महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें अब एक महीने के भीतर विधान मंडल के किसी एक सदन विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना होगा लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है. एक दिन पहले ही राज्य मंत्रिमंडल ने ठाकरे को विधान परिषद में मनोनीत करने की राज्यपाल से दूसरी बार सिफारिश की थी. इस बीच सीएम ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की, सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी.
दरअसल, उद्धव ठाकरे ने अपने राजनीतिक जीवन में अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है. वे फिलहाल किसी सदन के सदस्य भी नहीं हैं. नियम के मुताबिक उन्हें किसी एक सदन का सदस्य एक महीने के भीतर होना होगा, वरना वे पद पर नहीं बने रह पाएंगे. कोरोना वायरस को लेकर राज्य में होने वाले विधान परिषद के चुनाव को टाल दिया गया है. ऐसे में उद्धव ठाकरे के पास ये विकल्प है कि वो राज्यपाल कोटे वाले एमएलसी सीट से विधान परिषद के सदस्य बन जाएं. राज्यपाल के कोटे में दो सीटें हैं. इसके लिए महाराष्ट्र की कैबिनेट ने अब तक दो बार राज्यपाल के पास सिफारिश भेजी है लेकिन अब तक मंजूरी नहीं मिली है.
सिफारिश में मंजूरी मिलने में हो रही देरी के बीच शिवसेना, बीजेपी पर निशाना भी साध चुकी है. मुखपत्र सामना में छपे लेख में शिवसेना ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर लिया था.
28 नवंबर 2008 को ठाकरे ने महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ली थी. लेकिन सरकार बनने के कुछ महीनों बाद ठाकरे की कुर्सी संकट से घिर गई है. गठबंधन की सरकार को चला रहे उद्धव ठाकरे के पास इतनी संख्या बल मौजूद थी कि वे एमएलसी चुने जा सकते थे लेकिन कोरोना वायरस की वजह से चुनाव टलने के बाद मामला फंस गया है.
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ही है. राज्य में बुधवार सुबह तक कोरोना के पॉजिटिव मामलों की संख्या 9000 के पार कर चुकी थी. कुल 9318 लोग इस वायरस से पीड़ित हो गए हैं, जिनमें से 1388 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है. देश के 30 फीसदी कोरोना मरीज और 40 फीसदी मरने वालों की संख्या अकेले महाराष्ट्र में ही हैं.