नई दिल्ली: चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगाने के फैसले और तकनीकी सप्लाई चेन में हिफाज़त की घेराबंदी मजबूत करने की कड़ी में भारत जल्द ही नई साइबर सुरक्षा नीति लागू करने जा रहा है. भारत के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक लेफ्टिनेंट जनरल राजेश पंत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि देश के सामने मौजूद नई साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक साइबर सुरक्षा नीति लाई जा रही है. इसे तैयार कर लिया गया है और सरकार में शीर्ष स्तर पर मंजूरी के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
जनरल पंत ने बताया कि साइबर सुरक्षा के खतरों का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते साल करीब 1.6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान साइबर हमलों और धोखाधड़ियों के कारण उठाना पड़ा. वहीं दुनिया में बीते 9 महीनों के दौरान दर्ज किए गए साइबर अपराध से हुए नुकसान का आंकड़ा ही करीब 6 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है.
हाल ही में सरकार के साइबर सुरक्षा तंत्र की तरफ से किए गए एक आंकलन में पाया गया कि 15 ऐसे वैक्टर पॉइंट हैं जिनके सहारे मोबाइल फोन को हैक कर उसमें मालवेयर डालना सम्भव है. इसमें एप्स ही नहीं बल्कि वाईफाई कनेक्शन, मेमोरी चिप और ब्लूटूथ शामिल हैं. आंकलन में पाया गया कि क़ई एप तीसरे स्थान पर डेटा भेज रहे थे.
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक के मुताबिक, देश के एटॉमिक कार्यक्रम, अंतरिक्ष मिशन, वित्तीय क्षेत्र, ट्रांसपोर्ट समेत कुछ अहम सेक्टर में सूचना सुरक्षा सरकार की बड़ी चिंता और प्राथमिकता है. वहीं दुनियाभर में रेन्समवेयर यानी फिरौती वसूल करने की मंशा से भेजे गए मेलवेयर हमलों का बढ़ना इन चिंताओं में इजाफा करता है.
इतना ही नहीं दुनिया के बड़े संगठित अपराध गुटों और माफिया संगठनों में साइबर टीमों की सक्रियता भी फिक्र बढ़ती है. साइबर सुरक्षा तंत्र से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, कोविड-19 महामारी के दौरान अस्पतालों पर साइबर हमले और उसके जरिए धन वसूली जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं जो बताती हैं कि इससे जुड़े अपराधी कितने संवेदनहीन हैं.
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, नई साइबर सुरक्षा नीति में डेटा को राष्ट्रीय संसाधन माना गया है. साथ ही इसमें देश की साबर सुरक्षा के लिए एक शीर्ष संस्था बनाने, निर्धारित रक्षा प्रणाली, साइबर इंश्योरेंस, साइबर शिक्षा आदि का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा कॉमन बट डिफरेंशियल रेस्पोंसीबिलिटी के साथ आगे बढ़ने की भी कोशिश की गई है. यानी साइबर सुरक्षा में व्यक्ति से लेकर सरकार और निजी बिजनेस क्षेत्र की साझा जिम्मेदारी पर ज़ोर दिया गया है. हालांकि उसके संरक्षण के लिए सबके दायित्व का दायरा अलग अलग होगा.