Kerala Human Sacrifice Case: केरल (Kerala) के पथनमथिट्टा (Pathanamthitta) में नरबलि (Human Sacrifice) के आरोप में तीन लोग गिरफ्तार किए गए हैं. पारंपरिक चिकित्सक भगवल सिंह (Bhagwal Singh), उसकी पत्नी और मसाज थेरेपिस्ट लैला (Laila) और तांत्रिक मोहम्मद शफी (Mohammed Shafi) को पुलिस (Kerala Police) ने दो महिलाओं की बलि देने के आरोप में गिरफ्तार किया है. दंपति ने कथित तौर पर घर में समृद्धि लाने के लिए तांत्रिक के साथ मिलकर वारदात को पथनमथिट्टा के एलंथूर में जुलाई और सितंबर में अंजाम दिया. 


केरल सरकार की पिनाराई विजय सरकार (Pinarayi Vijayan Govt) ने इस मामले के उजागर होने के बाद राज्य में अंधविश्वास से जुड़ी प्रथाओं रोकने के लिए नया कानून बनाने की आवश्यकता बताई है. केरल सरकार ने कहा है कि मौजूदा कानूनों को कड़ाई से लागू करने के अलावा अगर जरूरी हो तो नया कानून लाने पर विचार किया जाना चाहिए. हालांकि, केरल के सचिवालय ने बुधवार (12 अक्टूबर) को जारी अपने बयान में कहा कि रूह कंपा देने वाली ऐसी घटनाओं को सिर्फ कानून से नहीं रोका जा सकता है, बल्कि समाज में इसके प्रति जागरूकता लाना जरूरी है. केरल सरकार के मुताबिक, देश में पिछले वर्ष 73 लोगों की हत्याएं अंधविश्वास के चलते कर दी गईं. केरल के नरबलि के मामले ने इस ओर ध्यान खींचा है कि आखिर काले जादू और अंधविश्‍वास के खिलाफ भारत के किस राज्‍य में कौन से कानून हैं. आइये जानते हैं.


आठ राज्यों में काले जादू के खिलाफ कानून


1999 के बाद से देश के आठ राज्यों ने अंधविश्वास और जादू-टोने से संबंधित मामलों से निपटने के लिए कानून बनाए हैं. अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग सजा का प्रावधान किया गया है. हालांकि, इन राज्यों के कानून में काला जादू या अंधविश्वास का अर्थ परिभाषित नहीं किया गया है. 


बिहार


बिहार देश का पहला राज्य है, जिसने 1999 में महिलाओं को डायन घोषित किए जाने और उन्हें प्रताड़ित किए जाने के खिलाफ कानून बनाया. बिहार में इसे प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस कानून, 1999 के नाम से जाना जाता है. इस कानून के मुताबिक, डायन का अर्थ ऐसी महिला से है, जो अपनी आंखों, मंत्रों और काला जादू के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने की शक्ति रखती है. 


झारखंड


झारखंड में भी ऐसा ही एक कानून मौजूद है. पिछले वर्ष राज्य के गुमला के बुरुहातु-अमटोली पहाड़ में एक परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी गई थी. वहां की ग्राम परिषद ने कथित तौर पर इन लोगों को चुड़ैल घोषित कर उन्हें मौत की सजा सुनाई थी. झारखंड के हाई कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर मामले में स्वत: संज्ञान लिया था. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने 18 मार्च 2021 के अपने एक आदेश में कहा था कि प्रिवेंशन ऑफ विच (डायन) प्रैक्टिस कानून, 1999 को झारखंड ने अपनाया, लेकिन इसे लेकर ठोस कदम उठाने में कोताही बरती गई.


छत्तीसगढ़


छत्तीसगढ़ में टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम 2005 मौजूद है. कानून किसी भी पुरुष या महिला को टोनही घोषित करने के खिलाफ है. टोनही का अर्थ ऐसे व्यक्ति है, जो काला जादू और अपनी बुरी नजर आदि से किसी इंसान या जानवर को नुकसान पहुंचा सकता है. इस कानून के अंतर्गत ओझा के रूप में झाड़-फूंक, टोटका और तंत्रमंत्र आदि का अभ्यास करने पर प्रतिबंध है. इस कानून के तहत अधिकतम पांच साल कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है.


ओडिशा


ओडिशा में प्रिवेंशन ऑफ विच हंटिंग एक्ट 2013 लागू है. यह कानून महिलाओं को डायन या चुड़ैल घोषित करने और उन पर अत्याचार के खिलाफ लागू होता है. इस कानून के तहत कम से कम एक साल और अधिकतम तीन वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है. 


राजस्थान


राजस्थान में प्रिवेशन ऑफ विच हंटिंग एक्ट 2015 लागू है. कुछ मामलों में राजस्थान के इस कानून के तहत कठोर सजा का प्रावधान है. इस कानून के तहत उस इलाके के लोगों पर भी जुर्माना लगाया जा सकता है, जहां इसका उल्लंघन किया गया हो.


असम


असम में भी अंधविश्वास के खिलाफ कानून लागू है. यहां का कानून ऐसी गतिविधि प्रतिबंध लगाता है, जिसमें किसी व्यक्ति को अशुभ घटनाओं के लिए दोषी ठहराया जाता है. इन घटनाओं में प्राकृतिक आपदा जैसे कि सूखा, बाढ़, फसल का नुकसान और बीमारी या गांव में किसी की मृत्यु हो जाना आदि शामिल हैं. 


असम का विच हंटिंग (प्रोहिबिशन, प्रिवेंशन, प्रोटेक्शन) एक्ट 2015 यातनाओं के विभिन्न प्रकार पर पाबंदी लगाता है. इनमें पत्थर मारना, लटका देना, चाकू भोंकना, घसीटना, सार्वजनिक पिटाई करना, जलाना, बालों को काट देना या जलाना, जबरन मुंडन करा देना, दांत तोड़ देना, नाक या शरीर का अन्य कोई अंग भंग करना, चेहरा काला करना, कोड़े लगाना, किसी गर्म चीज से या पैने हथियार से शरीर पर निशान बना देना आदि अंधविश्वास की गतिविधियां शामिल हैं.


महाराष्ट्र


महाराष्ट्र में एंटी सुपरस्टीशन एंड ब्लैक मैजिक एक्ट 2013 लागू है. राज्य में नरबलि और काला जादू की कई घटनाओं को देखते हुए इसे लागू किया गया था. 


कर्नाटक


कर्नाटक में अंधविश्वास विरोधी कानून लागू है. 2020 में यह कानून लाया गया था. कानून कुप्रथाओं के दर्जनों अभ्यासों पर प्रतिबंध लगाता है. 


रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल में 2019 में इंसानों को नुकसान पहुंचाने और टोना-काला जादू को प्रतिबंधित करने के लिए एक विधेयक लाया गया था लेकिन अभी तक यह पारित नहीं हो पाया है. कई संस्थाएं और समूह देश में अंधविश्वास और काला जादू के खिलाफ एक राष्ट्रीय कानून की मांग लंबे समय से करते आ रहे हैं.


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