लॉकडाउन के चलते आने वाली परेशानियों के बावजूद सरकारी एजेंसियों ने इस साल अब तक गेहूं की बम्पर ख़रीदारी की है. खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक़ 24 मई तक 341.56 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हो चुकी है जो पिछले साल से ज़्यादा है. पिछले साल सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 341.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं ख़रीदा था. इस लिहाज से अबतक 25000 ज़्यादा गेहूं की ज़्यादा ख़रीद हो चुकी है. इतना ही नहीं अभी भी गेहूं की ख़रीद जारी है.


सबसे ज़्यादा ख़रीद पंजाब से हुई


सबसे ज़्यादा गेहूं की ख़रीद पंजाब में हुई है. राज्य के किसानों से अभी तक 125.84 लाख मीट्रिक टन गेहूं ख़रीदा जा चुका है. दूसरे नम्बर पर मध्यप्रदेश है जहां 113.38 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हो चुकी है. मध्यप्रदेश भी कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं हरियाणा से 70.65 लाख मीट्रिक टन और उत्तर प्रदेश से 20.39 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद हुई है. इसके अलावा राजस्थान , उत्तराखंड , गुजरात , चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश से भी गेहूं की ख़रीद की गई है.


तीन बड़ी चुनौतियां


गृह मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर फ़सलों की ख़रीद के दौरान मंडियों में लॉक डाउन की शर्तों को कड़ाई से पालन करने को कहा था. खाद्य मंत्रालय के मुताबिक़ इस साल लॉक डाउन के चलते गेहूं की ख़रीद में तीन बड़ी चुनौतियां रही हैं. लॉक डाउन में जूट की मिलें बन्द हो जाने के चलते बोरियों की कमी, बेमौसम बारिश से फ़सल बर्बाद होने का डर और पलायन के चलते श्रमिकों की कमी ख़रीद प्रक्रिया में बड़ी बाधा बनकर सामने आई लेकिन भारतीय खाद्य निगम और राज्य सरकार की एजेंसियों ने मिलकर इस चुनौती को काफ़ी हद तक पार कर लिया है.


400 लाख मीट्रिक टन गेहूं की ख़रीद का लक्ष्य


इस साल लॉक डाउन के चलते गेहूं की ख़रीद 15 अप्रैल से शुरू की गई थी जबकि आमतौर पर ये अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू की जाती है. 15 अप्रैल से शुरू हुई ख़रीद की मियाद तीन महीने यानि 15 जुलाई तक तय की गई है . किसान 15 जुलाई तक अपनी फ़सल बेच सकते हैं. हालांकि सरकार ने 400 लाख मीट्रिक टन गेहूं और रबी में पैदा होने वाला 100 लाख मीट्रिक टन चावल ख़रीदने का लक्ष्य रखा है.


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