बातचीत लंबित रहने के बीच इजरायल का भारत को निर्यात बढ़ाने पर जोर
यरुशलम: पीएम नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक यात्रा का लाभ उठाते हुये इजरायल अपना निर्यात बढ़ाने के लिये भारत के मध्यम वर्ग पर निगाह रखे हुये है. हालांकि, मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत के अटके होने की वजह से यहां इसमें कुछ संशय बना हुआ है.
इजरायल के आथर्कि और उद्योग मंत्री एली कोहेन ने कहा, "भारत इजरायल के लिये अहम निर्यात बाजार है. भारत के साथ मजबूत होते रिश्ते और भारत के प्रधानमंत्री की इस ऐतिहासिक यात्रा से दोनों देशों के रिश्ते सुरक्षा निर्यात से आगे बढ़कर माल और सेवाओं के व्यापार में वृद्धि की दिशा में बढ़ेंगे. कोहेन ने इस बात पर गौर किया कि, भारतीय अर्थव्यवस्था इजरायल निर्यात के लिये प्रमुख गंतव्य बनती जा रही है.
भारत के 1.3 अरब उपभोक्ता जिसमें कि 30 करोड़ नागरिक मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग में हैं. भारत के उच्च मध्यम वर्ग की खरीद क्षमता पशिचमी अर्थव्यवस्थाओं के समान है. इजरायली निर्यात के लिये काफी महत्वपूर्ण है. मुक्त व्यापार समझौते के मुद्दे पर दोनों ही देशों का रवैया टालमटोल वाला रहा है. हालांकि इस मुद्दे पर बातचीत सात साल पहले शुरू हो गई थी और इसका पहला दौर 26 मई 2010 में हुआ था.
लंबे समय से लटके पड़े इस समझौते के बारे में पूछे जाने पर इजरायल के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि भारत इस बारे में फिर से मूल्यांकन कर रहा है, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि दोनों देशों के बीच उनकी आथर्कि क्षमताओं का लाभ उठाने के लिये नये घटनाक्रम हो रहे हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल के सरकार समर्थक समाचार पत्र के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि भारत इजरायल की तरफ केवल पारंपरिक आयात-निर्यात वाले संबंधों की नजर से नहीं देख रहा है. उन्होंने कहा यह खरीदार-विक्रेता संबंधों से आगे बढ़कर रिश्ता है. हम 'मेक इन इंडिया' पर जोर देते हुये प्रौद्योगिकी आधारित भागीदारी को लेकर अधिक इच्छुक हैं. इजरायल के आथर्कि एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापार 1992 के 20 करोड़ डॉलर से बढ़कर हीरा व्यापार सहित 2016 में 4.13 अरब डालर पर पहुंच गया.