DETAILS: आज पूरे दिन क्या हुआ, महाराष्ट्र में क्यों लगाना पड़ा राष्ट्रपति शासन?
शिवसेना राज्यपाल और केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग गया. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दोपहर में रिपोर्ट भेजी थी. राज्यपाल का मानना है कि उन्होंने सारे प्रयास कर लिए थे लेकिन सरकार बनने के आसार नहीं थे. 15 दिन हो चुके थे. इसलिए अपनी अनुशंसा कर दी. एनसीपी ने 3 दिन का समय मांगा था.
शिवसेना राज्यपाल और केंद्रीय कैबिनेट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है. दरअसल महाराष्ट्र में राजनीतिक उठापटक जारी थी एनसीपी कांग्रेस और शिवसेना में बैठकों का दौर चल रहा था इसी बीच खबर आ गई कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आज 4 दिन की विदेश यात्रा के लिए ब्राजील निकलना था और उससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में, राज्यपाल की रिपोर्ट पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी दे दी. इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी ने इमरजेंसी कैबिनेट की बैठक बुलाई. बैठक में गृह मंत्रालय को भेजी गई राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की रिपोर्ट को रखा गया. रिपोर्ट में कहा गया था राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सभी राजनीतिक दलों से बातचीत के बाद, राज्यपाल संवैधानिक तरीकों से कोई भी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. इससे संतुष्ट है और राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करते हैं."
सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी को मंगलवार शाम 8:30 बजे तक बहुमत के आंकड़े से राज्यपाल को संतुष्ट करने का वक्त दिया था. लेकिन उससे पहले ही दोपहर में 12:30 बजे के आसपास राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को एनसीपी का खत मिला. इस खत में एनसीपी ने अपने पास बहुमत का आंकड़ा फिलहाल ना होने की बात कही और तीन अतिरिक्त दिनों का समय मांगा था. इस चिट्ठी के मिलने के बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश गृह मंत्रालय को भेज दी. राष्ट्रपति शासन की खबर सामने आते ही शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने सवाल उठाए. प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा कि "जब एनसीपी को शाम 8:30 बजे तक बहुमत के आंकड़े से संतुष्ट करने का वक्त दिया गया था तो उससे पहले राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कैसे कर सकते हैं"
इससे पहले एनसीपी के नेता अजित पवार ने कल शाम शिवसेना के समर्थन में कांग्रेस विधायकों की चिट्ठी जारी नहीं करने के लिए कांग्रेस बड़े नेताओं को को जिम्मेदार ठहराया. लेकिन इससे पहले सुबह से एनसीपी शिवसेना और दिल्ली में भी कांग्रेस की बैठकों का दौर चला. सोमवार को राज्यपाल द्वारा एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता देने और शिवसेना को और समय देने से इनकार करने के बाद से, यह माना जा रहा था कि राज्य में अब सरकार बनना मुश्किल है. लेकिन एनसीपी शिवसेना और कांग्रेस के बीच बातचीत का दौर चला और शिवसेना के मुख्यमंत्री को लेकर फार्मूले पर काम होता है. इसी फार्मूले पर आगे बातचीत करने के लिए कांग्रेस के नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और वेणुगोपाल मुंबई रवाना होने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की खबर सामने आ गई.
इस बीच शिवसेना के सूत्रों ने साफ कर दिया कि एनसीपी-कांग्रेस और शिवसेना मिलकर राज्य में सरकार बनाएंगे. इसके लिए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार हो रहा है, जिसमें किसानों की कर्ज माफी और विकास के रुके पड़े प्रोजेक्ट में तेजी लाने जैसे मुद्दे शामिल है. राज्य में सरकार के सतत संचालन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम में कुछ बिंदु तय किए जाएंगे और उन्हीं के आधार पर राज्य में साझा सरकार चलेगी शिवसेना के सूत्रों के मुताबिक सरकार में कांग्रेस भी शामिल होगी. गठबंधन दलों के बीच मंत्रालयों का आवंटन उनकी संख्या बल के आधार पर होगा. हालांकि जब उद्धव ठाकरे जो कि संजय राउत का हालचाल जानने अस्पताल पहुंचे थे उनसे इस बारे में पूछा गया तो वह जवाब टाल गए.
राज्य में राष्ट्रपति शासन के बाद विधानसभा निलंबित रहेगी और सरकार बनाने का रास्ता खुला रहेगा. निलंबित विधानसभा तमाम दलों को यह सहूलियत देती है, कि अलग-अलग दल मिलकर एक गठबंधन के तौर पर बहुमत के आंकड़े से अगर राज्यपाल को संतुष्ट कर देते हैं, तो राज्यपाल उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं. हालांकि शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस के पास अपने गठबंधन के न्यूनतम साझा कार्यक्रम, सरकार के फार्मूले और मंत्रालयों के आवंटन के फार्मूले को तय करने में अभी कुछ और दिन लगेंगे. इसके बावजूद शिवसेना, सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति शासन लगाने के, राज्यपाल की सिफारिश के खिलाफ याचिका दाखिल कर चुकी है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की याचिका पर मुकदमा लड़ रहे है. आने वाले दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति किस करवट बैठेगी किसकी सरकार बनेगी? क्या वाकई में 6 महीने बाद महाराष्ट्र में चुनाव होंगे या फिर शिवसेना की अगुवाई में पहली बार ठाकरे परिवार का सदस्य मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठेगा ? यह सवाल हैं जिनके जवाब अगले कुछ दिनों में मिल सकते हैं.