नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध के बीच सरकार ने सोमवार को धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के आंकड़े जारी किये हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक पिछले 48 घंटे में 10.53 करोड़ रुपये के धान की एमएसपी पर खरीद की गई.
सरकारी धान खरीद के इन आंकड़ों को जारी कर सरकार यह संदेश देना चाहती है कि एमएसपी खत्म करने का उसका कोई इरादा नहीं है और यह पहले की तरह जारी रहेगी. सरकार ने न केवल धान खरीद के लिये व्यवस्था की है बल्कि इस साल उसने दाल और तिलहनों की खरीद के लिए भी पूरी व्यवस्था की है. पंजाब और हरियाणा तथा कई अन्य राज्यों में किसान नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, जिसके बारे में उनका मानना है कि इससे खरीद का पूरा काम कंपनियों के हवाले हो जायेगा और एमएसपी व्यवस्था समाप्त हो जाएगी.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा, ‘हरियाणा और पंजाब के किसानों से 27 सितंबर तक 1,868 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी पर 5,637 टन धान की खरीद की गई है. शेष राज्यों में धान की खरीद आज से शुरू हो गई है.’ मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि हरियाणा और पंजाब के 390 किसानों से 10.53 करोड़ रुपये का धान पिछले 48 घंटे में खरीदा गया है.
धान खरीद का काम 26 सितंबर से शुरू हुआ है. यह खरीद विपणन सत्र 2020-21 के तहत की जा रही है. सरकार ने विपणन सत्र 2020-21 में खरीफ के दौरान 495.37 लाख टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है. धान के अलावा, सरकार ने अपनी नोडल एजेंसियों के माध्यम से तमिलनाडु के 40 किसानों से 24 सितंबर तक 34.20 लाख टन मूंग, 25 लाख रुपये के एमएसपी पर खरीद की है.
इसी प्रकार, 5,089 टन नारियल, जिसकी एमएसपी मूल्य 52.40 करोड़ रुपये है, को कर्नाटक और तमिलनाडु में खरीदा गया जिससे 3,961 किसान लाभान्वित हुए हैं. आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के लिए स्वीकृत मात्रा 95.75 लाख टन है. राज्यों के प्रस्ताव के आधार पर, मंत्रालय ने कहा कि उसने तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और हरियाणा राज्यों से कुल 13.77 लाख टन खरीफ दालों और तिलहन की खरीद के लिए मंजूरी दी है. वर्ष 2020-21 के सत्र के लिए कपास की खरीद एक अक्टूबर से शुरू होगी.
एक अलग बयान में, खाद्य मंत्रालय ने कहा कि एमएसपी दर पर धान की खरीद सोमवार से शेष राज्यों में भी शुरू हो गई है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्यों की खरीद एजेंसियों को किसानों से परेशानी मुक्त खरीद करने और उन्हें एमएसपी भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.
राज्य सरकारों से कहा गया है कि वे किसानों के बीच एक समान विशिष्टताओं के बारे में जागरूकता पैदा करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिले और स्टॉक की किसी भी अस्वीकृति से पूरी तरह से बचा जा सके. बयान में कहा गया है कि सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और एफसीआई को सलाह दी गई है कि इस वर्ष के दौरान खरीद का काम एकसमान विनिर्देशों के अनुसार कड़ाई से हो.