मुंबईः तीसरे चरण के वैक्सीनेशन में डोज की कमी और वैक्सीनेशन सेंटरों पर भीड़ को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है. नए रास्ते के तहत राज्य सरकार अब सबसे पहले 35 से 44 साल की उम्र वाले लोगों को वैक्सीन लगाने पर विचार कर रही है. सरकार का मानना है कि इस कदम से वैक्सीनेशन सेंटरों पर लोगों की भीड़ भी कम होगी और टीके कमी से जूझ रहे राज्य सरकार को राहत भी मिल सकती है.
टीकों की कमी से जूझ रहें हैं कई राज्य
बता दें कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में एक मई से देश भर में वैक्सीनेशन के तीसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. हालांकि महाराष्ट्र समेत कई राज्य टीकों की कमी से जूझ रहे हैं. टीकों की कमी के कारण कई राज्यों में 18 से 44 साल के उम्र वाले लोगों के लिए टीकाकरण अभियान में तेजी नहीं आई है.
मुख्यमंत्री इस कदम पर जल्द ही फैसला ले सकते हैं इस बात की जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश तोपे ने जानकारी दी है. राजेश तोपे ने कहा कि 18-34 साल के लोगों को टीका तभी लगेगा जब राज्य सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन मिल जाएंगे.
हर जिले में पांच सेंटर पर चल रहा है प्रोग्राम
बता दें कि मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र में 18 से 44 आयु वर्ग के लोगों को एक जिले में केवल पांच सेंटरों पर वैक्सीन दी जा रही है. महाराष्ट्र ने वैक्सीनेशन की शुरुआत 3 लाख कोविशील्ड डोज के साथ शुरू की थी बाद में राज्य सरकार ने कोवैक्सिन की 4 लाख 79 हजार डोज खरीदी थी. महाराष्ट्र में अब तक 18 से 44 साल के युवा वर्ग के 2 लाख 15 हजार 284 लोगों को टीका लगाया गया है.
'सीमत संख्या में बची है वैक्सीन'
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में बुधवार और गुरुवार को 45 साल से अधिक उम्र के 7 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई गई है. जिसके बाद राज्य में सीमित संख्या में वैक्सीन बची हैं. स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने कहा कि हमारे पास करीब 1 लाख खुराके हैं और इस कारण 45 साल से अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए टीकाकरण अभियान धीमा रह सकता है. बता दे कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र को इस हफ्ते की शुरुआत में नौ लाख डोज दिए थे.
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