Amit Shah Instagram Post: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार (9 दिसंबर) को अपने इंस्टाग्राम हैंडल से एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें वह अपनी पोतियों के साथ दिख रहे हैं और शतरंज खेलते हुए नजर आ रहे हैं. शाह ने कैप्शन में जो लिखा, उसके राजनीतिक मायने समझे जा रहे हैं. दरअसल, गृह मंत्री ने पोस्ट में लिखा, ''अच्छे कदम के लिए समझौता न करें, हमेशा बेहतर की तलाश करें.''


गृह मंत्री की यह पोस्ट ऐसे समय आई है जब बीजेपी राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए मुख्यमंत्री चुनने के लिए विचार-विमर्श कर रही है. हालांकि, पार्टी ने तीनों राज्यों के लिए अपने केंद्रीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में विधायक दल की बैठक रविवार (10 दिसंबर) को होगी, जबकि राजस्थान और मध्य प्रदेश में बैठकें सोमवार (11 दिसंबर) को होंगी.






सीएम तय करने के लिए बीजेपी में चला है मुलाकातों और बैठकों का दौर


इससे पहले तीनों राज्यों के सीएम पद को लेकर सस्पेंस के बीच केंद्रीय नेतृत्व के साथ कई नेताओं की मुलाकात का दौर चला है. जिनमें राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, तिजारा से जीते बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक बाबा बालकनाथ, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया आदि शामिल हैं. वहीं, तीनों राज्यों के लिए मुख्यमंत्री तय करने के लिए पार्टी ने भी कई उच्च स्तरीय बैठकें की हैं, जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई नेता शामिल हुए.


इससे पहले चुनाव नतीजों को लेकर पीएम मोदी ने कहा था, ''लोग बीजेपी के शासन, निर्णय लेने और पारदर्शिता को पसंद करते हैं... यह बड़ी बात है कि एक सरकार के तौर पर हमारे अंदर सकारात्मकता है. हमारी पार्टी में सत्ता विरोधी लहर नहीं है. इस चुनाव में जीत हमारी सामूहिक शक्ति की जीत है…''


नतीजों ने कांग्रेस की आकांक्षाओं को क्यों दिया है झटका?


बता दें कि हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में पांच राज्यों में से तीन में बीजेपी ने जीत दर्ज की है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी को मिले मजबूत जनादेश ने न केवल राजनीतिक विरोधियों को हैरानी में डाल दिया, बल्कि कुछ सर्वेक्षणकर्ताओं की ओर से की गईं करीबी मुकाबले की भविष्यवाणियों को भी खारिज कर दिया. 


कांग्रेस को पांच राज्यों में से केवल तेलंगाना में जीत मिली है. माना रहा है कि नतीजों ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की आकांक्षाओं को झटका दिया है क्योंकि हिंदी पट्टी के बड़े हिस्से में उसे सत्ता से वंचित होना पड़ा है.


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