Jammu Kashmir: तनाव के बीच मुसलमानों ने किया कश्मीरी पंडित महिला का अंतिम संस्कार, बेटे ने कहा थैंक्यू
Jammu Kashmir: कुलगाम जिले में मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों ने भाईचारे की मिसाल पेश की है. यहां मुसलमानों ने एक अकेले हिंदू व्यक्ति को उसकी 80 वर्षीय मां का अंतिम संस्कार करने में मदद की.
Muslims Perform Kashmiri Pandit Woman Last Rites: आतंकवादियों द्वारा बडगाम जिले में एक कश्मीरी पंडित युवक की हत्या के बाद कश्मीर तनाव की चपेट में है. इस बीच ऐसे माहौल में मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों ने फिर से कुलगाम जिले में भाईचारे की मिसाल पेश की है. स्थानीय मुसलमानों ने एक अकेले हिंदू व्यक्ति को उसकी 80 वर्षीय मां का अंतिम संस्कार करने में मदद की. मिली जानकारी के अनुसार, कुलगाम के वाई के पोरा गांव की 80 वर्षीय पंडित महिला अनंतनाग के मट्टन इलाके में अपने रिश्तेदारों के एक विवाह समारोह में शामिल होने गई थी. लेकिन समारोह के दौरान उनकी हालत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया.
मृतका दुलारी भट्ट ने अपने जीवन के ज्यादातर साल स्थानीय लोगों के साथ अपने पैतृक गांव वाई के पोरा में बिताए. जब स्थानीय मुसलमानों को खबर मिली, तो वे मट्टन पहुंचे और उनके शव को उसके पैतृक गांव वाई के पोरा, कुलगाम ले आए. इस दौरान सैकड़ों मुसलमान विशेषकर महिला के पड़ोसी और स्थानीय लोग उनके शव की प्रतीक्षा कर रहे थे.
इलाके में रह रहा था अकेला पंडित परिवार
स्थानीय निवासी अल्ताफ अहमद ने कहा कि अकेला पंडित परिवार दशकों से अपने मुस्लिम पड़ोसियों के साथ रह रहा है और सभी में बेहद प्यार है. मृतक एक महान इंसान थी जो त्योहारों के अवसर पर मुसलमानों से मिलने जाती थी और जब भी हमारे यहां किसी की मृत्यु हो जाती थी वह समग्र संस्कृति का हिस्सा रहती थीं. आज ये हमारा कर्तव्य है कि हम उनके अंतिम संस्कार को उनके धार्मिक संस्कारों के अनुसार सुनिश्चित करके एहसान वापस करें.
मृतका के पति की 90 के दशक में हुई थी हत्या
वहीं दुलारी की सहेली साजा बानो ने कहा कि मृतक उसकी करीबी दोस्त थी और वे एक साथ दिन बिताते थे. उनकी मृत्यु पूरे गांव के लिए एक बड़ी क्षति है. ये मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि मैंने अपनी अच्छी दोस्त खो दिया है. दुलारी के पुत्र सुभाष भट्ट ने कहा कि वह क्षेत्र के मुसलमानों के शुक्रगुजार हैं जो दुख की इस घड़ी में उनके साथ खड़े रहे. हम एक साथ रह रहे हैं और इस तथ्य के बावजूद कि हमारे पिता 90 के दशक में मारे गए थे, हम कश्मीर से नहीं भागे. तब से हम इलाके के मुसलमानों के साथ रह रहे हैं, जो इस बड़ी क्षति की घड़ी में हमारे साथ हैं.
बेटे ने मुसलमानों का किया धन्यवाद
मृतका दुलारी के एक रिश्तेदार चुन्नी लाल भट्ट ने मुसलमानों को धन्यवाद देते हुए कहा कि कश्मीर सांप्रदायिक सद्भाव, भाईचारे का सबसे अच्छा उदाहरण है. यहां पंडित और मुसलमान एक महान और मजबूत बंधन साझा करते हैं, जो दशकों से है. आज, इलाके के मुसलमान हमारे साथ खड़े हुए और दुलारी के अंतिम संस्कार में भाग लिया. दुलारी के अंतिम संस्कार तक वे मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि मुसलमान और पंडित एक दूसरे के बिना अधूरे हैं.
कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद इलाके में है तनाव
गौरतलब है कि बडगाम के तहसील कार्यालय चंदूरा में कार्यरत कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद इस समय कश्मीर तनाव की चपेट में है. इस हत्या के बाद लोगों ने प्रवासियों की सुरक्षा और सुरक्षित पोस्टिंग की मांग के साथ पूरे कश्मीर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है. सिविल सोसाइटी समूहों ने भी राहुल की हत्या की निंदा की है और कश्मीर में सांप्रदायिक ताने-बाने को मजबूत करने का आग्रह किया है. जब लोग इस हत्या के बाद सड़कों पर उतरकर लड़ रहे हैं, ऐसे में स्थानीय कश्मीरी मुसलमान और हिंदू जरूरत के समय में एक-दूसरे की मदद करके आपसी प्रेम की मिसाल कायम कर रहे हैं.
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