एलएसी पर चीन से चल रहे टकराव के बीच भारत ने पैंगोंग-त्सो लेक में पैट्रोलिंग के लिए 12 नई बोट्स का ऑर्डर दिया है. इन नई बोट्स को भारत के ही एक बड़े शिपयार्ड में तैयार किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक, ये पैट्रोलिंग बोट्स सेना और आईटीबीपी द्वारा इस्तेमाल की जा रहीं बोट्स और स्टीमर्स से काफी बड़ी हैं. चीनी बोट्स से किसी टकराव की स्थिति में ये नई बोट्स दुश्मन पर भारी भी पड़ सकती हैं.


जानकारी के मुताबिक, कुछ दिनों पहले ही इन नई बोट्स को फास्ट ट्रैक के तहत बनाने का ऑर्डर दिया गया है, ताकि भारतीय सैनिक जल्द से जल्द इन पर गश्त कर सकें. आपको बता दें कि पैंगोंग-त्सो झील में पैट्रोलिंग के लिए अभी जो बोट्स भारतीय सेना और आईटीबीपी इस्तेमाल करती हैं वे बेहद छोटी बोट्स (स्टीमर) हैं. कई बार ऐसा देखने में आया है कि झील में पैट्रोलिंग के दौरान चीन की जो बड़ी बोट्स हैं वे भारत की बोट्स में टक्कर तक मार देती हैं. कुछ साल पहले ऐसी ही एक टक्कर में भारतीय बोट पलट तक गई थी.


इसी साल मई के महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी शुरू हुए टकराव के बाद माना जा रहा है कि पैंगोंग-त्सो झील में भी तनातनी बढ़ सकती है. क्योंकि भारत और चीन के बीच 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी इसी पैंगोंग-त्सो झील के बीच से होकर गुजरती है. क्योंकि चीनी सेना ने पैंगोंग-त्सो से सटी फिंगर एरिया के आठ से आगे आकर फिंगर चार पर अपना कब्जा जमा लिया है, ऐसे में माना जा रहा है कि चीनी सैनिक फिंगर चार से आगे भारतीय सैनिकों को पैट्रोलिंग करने के लिए मना कर सकते हैं. हालांकि अभी तक ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई है.


इसी खतरे को देखते हुए ही भारतीय नौसेना की एक एक्सपर्ट टीम ने पैंगोंग-त्सो झील का दौरा किया था. माना जा रहा है कि नौसेना की टीम ने पैंगोंग-झील में पैट्रोलिंग और पैट्रोलिंग-बोट्स को लेकर ही अपनी राय दी थी. क्योंकि नौसेना की फास्ट पैट्रोलिंग बोट्स समंदर में समुद्री-लुटेरों और अवांछित-तत्वों के खिलाफ गश्त करती हैं. भारतीय नौसेना और कोस्टगार्ड के पास फास्ट पैट्रोलिंग बोट्स का एक बड़ा बेड़ा है.


भारत और चीन के बीच एलएसी का मुख्य विवाद इसी फिंगर एरिया को लेकर है. क्योंकि मई महीने से पहले तक चीनी सेना फिंगर 8 से पीछे सिरिजैप पर रहती थी. लेकिन 5-6 मई को चीनी सेना ने गैर-कानूनी तरीके से फिंगर 8 से फिंगर 4 तक अपना कब्जा कर लिया.


गौरतलब है कि करीब 14 हजार फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी, पैंगोंग-त्सो झील करीब 135 किलोमीटर लंबी है, जिसका एक-तिहाई भाग यानि करीब 40 किलोमीटर भारत के अधिकार-क्षेत्र में है और बाकी दो-तिहाई यानि करीब-करीब 95 किलोमीटर चीन के कब्जे में है. सर्दियों के मौसम में यहां तापमान माइनस (-) 30-40 डिग्री तक गिर जाता है और झील पूरी तरह से जम जाती है.