नई दिल्ली: पूरी दुनिया को कोरोना वायरस जैसी महामारी देने वाला चीन अपनी करतूतों से बाज नहीं आ रहा है. जब चीन के वुहान और दूसरे इलाकों में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला हुआ था, उस वक्त चीन के अंडरवाटर ड्रोन हिंद महासागर में सबमरीन वॉरफेयर की तैयारी में जुटे थे.


इस बात का खुलासा दुनिया की प्रतिष्ठित मैगजीन, फोर्ब्स ने किया है. फोर्ब्स के मुताबिक, दिसम्बर और फरवरी के बीच चीन ने करीब एक दर्जन अंडरवाटर ड्रोन हिंद महासागर में तैनात किए थे. ये सभी अंडरवाटर ड्रोन चीन के शियानग्यानघोंघ जहाज से लांच किए गए थे. ये जहाज ओसयिनोग्राफी यानि समंदर की गहराई, तापमान, टर्पेडिटी‌ और ऑक्सीजन इत्यादि का पता लगाने के लिए किया जाता है. मैगजीन के मुताबिक इन एक दर्जन अंडरवाटर ड्रोन्स ने तीन हजार से भी ज्यादा विश्लेषण चीन की नौसेना को मुहैया कराए हैं.‌


मैगजीन के मुताबिक, हालांकि ये विश्लेषण ओसियन-रिसर्च के लिए इ‌स्तेमाल किए जाते हैं लेकिन इनका इस्तेमाल सबमरीन-वॉरफेयर के लिए भी किया जा सकता है. कि समंदर में कितनी गहराई में पनडुब्बी जा सकती है और कहां पर वो टोही विमान की जद में आ‌ सकती है.


आपको बता दें कि कुछ महीने पहले भारतीय नौसेना के प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने साफ तौर से कहा था कि चीन के किसी भी युद्धपोत या फिर रिसर्च-वैसेल को भारत के एसईजेड यानि स्पेशल इक्नोमिक जोन में नहीं आने दिया जाएगा, जो भारत कई तटीय सीमा से समंदर में 200 नॉटिकल मील तक है.


नौसेना प्रमुख के मुताबिक, भारत की समुद्री-सीमा में किसी भी देश के जहाज को दाखिल होने के लिए पहले भारतीय नौसेना से इजाजत लेनी होगी. एडमिरल करमबीर सिंह के बयान से कुछ दिनों पहले ही भारतीय नौसेना ने चीन के एक रिसर्च वैसेल को अंडमान निकोबार के करीब से ये कहकर खदेड़ दिया था कि वो भारत की समुद्री सीमा में घुसपैठ कर रहा है.


चीन की पनडुब्बियां एंटी-पायरेट ऑपरेशन्स के नाम पर हिंद महासागर में मंडराती रहती हैं


चीन की पनडुब्बियां एंटी-पायरेट ऑपरेशन्स के नाम पर हिंद महासागर में मंडराती रहती हैं. हालांकि, भारतीय सुरक्षा से जुड़े सूत्रों की मानें तो ये भारतीय नौसैना की जासूसी के इरादे से यहां आती हैं. चीन पनडुब्बियों को पाकिस्तान के बंदरगाहों पर भी देखा गया है.


आपको बता दें कि सबमरीन वॉरफेयर के लिए हाल ही में भारतीय नौसेना ने अमेरिका से 24 एमएच60आर 'रोमियो' हेलीकॉप्टर लेने का फैसला किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान इस करार पर हस्ताक्षर किए गए थे. भारतीय नौसेना के पास एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए फिलहाल अमेरिका से लिए गए लांग रेज मेरिटाइम पेट्रोल एंड रेनेकोसेंस एयरक्राफ्ट, पी8आई हैं.


भारत में भी डीआरडीओ और रक्षा क्षेत्र की कुछ निजी कंपनियां अंडर वाटर ड्रोन तकनीक पर काम कर रही हैं.


इस बीच भारतीय नौसेना के सतर्कता की एक और खबर सामने आई है. पाकिस्तान का एक नवनिर्मित युद्धपोत जो रोमानिया से लाल सागर से होते हुए कराची जा रहा था उसे भारतीय नौसेना के एक टोही हेलीकॉप्टर ने अरब सागर में ट्रैक कर लिया. ये हेलीकॉप्टर भारतीय नौसेना के एक युद्धपोत पर तैनात था जो अरब सागर में समुद्री-गश्त पर था.


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