Amit Jethava Murder Case: अमित जेठवा हत्याकांड के मुख्य गवाह धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी ने बीजेपी के पूर्व मंत्री दीनू बोघा सोलंकी और उनके भतीजे शिवा सोलंकी पर शुक्रवार (3 फरवरी) को जानलेवा हमला करने का आरोप लगाया. पुलिस को तुरंत घटना की सूचना दी गई, लेकिन शाम तक किसी भी अधिकारी ने FIR दर्ज नहीं की. गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि सोलंकी के गुर्गों ने उन पर हमला करने से पहले शिकायत वापस लेने की धमकी दी थी. हमले के बाद फिलहाल उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है.


दरअसल, जुलाई 2019 में सीबीआई कोर्ट ने सूचना के अधिकार (RTI) एक्टिविस्ट अमित जेठवा की हत्या के मामले में पूर्व सांसद दीनू बोघा सोलंकी और उनके भतीजे शिवा सोलंकी सहित सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. मामले का मुख्य गवाह होने के नाते, गोस्वामी के बेटे को अदालत में पेश होने से रोकने के लिए उसका अपहरण कर लिया गया था. गोस्वामी इस मामले को सीबीआई अदालत में ले गए, जहां न्यायाधीश ने आगे की जांच का आदेश दिया और जांच अधिकारी को जांच की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.


क्यों नहीं की गई पूछताछ?


अदालत के आदेश में आगे कहा गया है, अगर आरोपी दोषी पाए जाते हैं, तो कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी. जांच के बाद कथित अभियुक्त दीनू बोघा सोलंकी और उनके भतीजे शिवा सोलंकी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज करने की आवश्यकता थी. इस तथ्य के बावजूद कि दोनों अभियुक्त उपलब्ध थे, क्योंकि वे सजा के कारण न्यायिक हिरासत में थे, उन्हें कभी भी पकड़ा नहीं गया और उनके कथित अपराधों के बारे में पूछताछ नहीं की गई.


गोस्वामी के अनुसार, जांच को पक्षपातपूर्ण और दागदार बताया गया था, इसलिए उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट के सामने जांच को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया. इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. एडवोकेट आनंद याग्निक के अनुसार, दीनू बोघा सोलंकी और शिवा सोलंकी के गुर्गे धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी के पास पहुंचे और उन्हें अपनी प्राथमिकी और हत्या और अपहरण के मामले से संबंधित सभी लंबित मुकदमों को वापस लेकर केस को खत्म करने के लिए मजबूर किया.


हमला तब हुआ, जब नहीं थी सुरक्षा


लगातार मिल रही धमकियों के चलते धर्मेंद्र गिरी गोस्वामी को पुलिस सुरक्षा दी गई है. पहले भी उन्हें धमकी दी गई थी और उनकी शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हुई थी. हालांकि उनकी सुरक्षा में लगे पुलिस अधिकारियों को दो दिन पहले ही ट्रेंनिंग के लिए हटा दिया गया था. शुक्रवार को जब उन पर हमला किया गया और पीटा गया तो मौके पर कोई पुलिस सुरक्षा मौजूद नहीं थी. यह सब तब हुआ जब हाई कोर्ट ने शिवा सोलंकी की जमानत याचिका को सस्पेंड कर दिया है.


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