नई दिल्ली: केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आज गृह मंत्री अमित शाह से भेंट की. ये मुलाक़ात पहले से तय थी. ये बात तब की है जब अमित शाह एम्स नहीं गए थे. पटना में बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की बैठक भी नहीं हुई थी. कोरोना से संक्रमित होने के बाद बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह अब स्वस्थ है.


गिरिराज सिंह ने पहले उनका हाल चाल पूछा. फिर बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर लंबी चर्चा हुई. वहां के राजनैतिक और सामाजिक समीकरण पर दोनों ने मन की बात की. अमित शाह से आज के मुलाकात के बारे में गिरिराज सिंह ने खुद ट्वीट कर जानकारी दी है.


अब संसद सत्र के दौरान इस भेंट को लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक बड़ी चर्चा है. सब जानना चाहते हैं कि आख़िर बातचीत क्या हुई? गिरिराज के समर्थक और उनके विरोधी, दोनों की नज़र इस मुलाक़ात पर है. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान सीट बदलने को लेकर गिरिराज बाबू नाराज़ हो गए थे. वे नवादा से चुनाव जीते थे और पार्टी उन्हें बेगूसराय से टिकट दे रही थी.


बड़े मान मन्नौवल के बाद गिरिराज तैयार हुए थे. तब नित्यानंद राय बिहार बीजेपी के अध्यक्ष हुआ करते थे. बिहार में बीजेपी के बड़े नेता दो गुटों में बंटे हुए है. बिहार में जेडीयू और बीजेपी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई फ़ार्मूला अभी तय नहीं है. क्या नीतीश कुमार इस बार भी बड़े भाई के रोल में रहेंगे या फिर लोकसभा चुनाव की तरह फ़िफ़्टी फ़िफ़्टी का फ़ार्मूला रहेगा.


बीजेपी और जेडीयू 17-17 सीटें पर चुनाव लड़ी थी. लोक जनशक्ति पार्टी के हिस्से में 6 सीटें आई थीं. पिछले ही हफ़्ते बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा दो दिनों के दौरे पर बिहार गए थे. तब पटना में उन्होंने नीतीश कुमार से मुलाक़ात की थी. घंटे भर की मीटिंग में जेडीयू से ललन सिंह जबकि बीजेपी से डिप्टी सीएम सुशील मोदी, राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल भी मौजूद रहे.


ये तय हुआ था कि सीटों के बंटवारे पर आगे की बातचीत जेडीयू की तरफ़ से ललन सिंह करेंगे. जब मामला कहीं फंसता है तभी केस नीतीश कुमार तक जाता है. ये नीतीश कुमार का स्टाइल रहा है. चिराग़ पासवान और जेडीयू के बीच तनातनी भी इस बैठक के बाद ख़त्म हो गई. 2015 में नीतीश कुमार और लालू यादव साथ विधानसभा का चुनाव लड़े थे. कांग्रेस भी महागठबंधन में साथ थी.


उस चुनाव में बीजेपी और एलजेपी का गठबंधन था. इस बार जीतनराम मांझी की पार्टी भी एनडीए में आ गई है. मतलब ये है कि बाज़ारी, जेडीयू, एलजेपी और हम के बीच सीटों का बंटवारा होगा. ये काम बड़ा मुश्किल है. संकट सीटों की अदला बदली को लेकर भी है. बड़े-बड़े नेता अपने अपने समर्थकों को भी टिकट दिलाना चाहते हैं. इस बात पर भी मामला फंस सकता है.


गिरिराज सिंह के करीबी एक नेता ने बताया कि इन सभी मुद्दों पर अमित शाह से उनकी लंबी चर्चा हुई. एक जमाने में एनडीए में रहते हुए नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी में ठनी हुई थी. उन दिनों मोदी गुजरात के सीएम थे.


नीतीश सरकार में मंत्री रहते हुए भी गिरिराज तब मोदी के बड़े समर्थक माने जाते थे. इस मुद्दे पर कई बार तो उन्होंने नीतीश का खुल कर विरोध भी कर दिया था. अब सब साथ हैं. और चुनौती कोरोना और बाढ़ से बेहाल बिहार में चुनाव जीतने की है.


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