नई दिल्ली: राम मंदिर पर एक बार फिर देश की सियासत गर्मा गई है. गुजरात चुनाव के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस नेता और राम मंदिर मामले में सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल के बहाने कांग्रेस पर हमला बोला है. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस अपना स्टैंड साफ करे कि वो राम मंदिर चाहती है या नहीं?


दरअसल सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या में राम मंदिर मामले की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल समेत तीन वकीलों से मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद करने की मांग की. कपिल सिब्बल की इसी मांग पर बीजेपी ने हमला बोला है.


सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल 8 फरवरी 2018 तक मामले की सुनवाई टाल दी है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अनुवाद किए गए 19950 पन्नों के दस्तावेज जल्द से जल्द जमा कराएं.


कांग्रेस राम मंदिर पर स्टैंड साफ करे- शाह
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ''आज एक आश्चर्य जनक दलील सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के नेता और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने रखी. उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव तक केस की सुनवाई टाल देनी चाहिए. जब भी कांग्रेस किसी बात में अलग स्टैंड लेना चाहती है तो सिब्बल को आगे करती है. कोलगेट के समय सिब्बल जीरो लॉस की थ्योरी लेकर सामने आए थे. जब श्री राम जन्म भूमि की राह में रोड़े अटकाने हैं तो फिर सिब्बल को आगे किया है. मैं मांग करता हूं कि कांग्रेस पार्टी इस पर अपना स्टैंड क्लीयर करे कि वो मामले की सुनवाई जल्द से जल्द चाहती है या फिर वो भी सिब्बल की तरह सुनवाई टालना चाहती है. सुनवाई टालने से आखिर क्या हासिल होगा?''


हमारा स्टैंड स्पष्ट है, राहुल गांधी अपना स्टैंड बताएं: शाह
अमित शाह ने कहा, ''कांग्रेस के बनने वाले अध्यक्ष मंदिर मंदिर चुनावी दौरे कर रहे हैं और दूसरी ओर राम मंदिर मामले की सुनवाई को टालने के सिब्बल को आगे किया जा रहा है. इस मामले पर कांग्रेस पार्टी स्टैंड साफ करें. मैं राहुल गांधी से भी मांग करता हूं इस मामले पर अपना स्टैंड क्लीयर करे. हमारा स्टैंड क्लीयर है कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जल्द से जल्द हो अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने.''


आज सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?


सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे बड़े मुकदमे यानि अयोध्या में राम मंदिर मामले की सुनवाई 8 फरवरी 2018 तक टाल दी है. कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष अनुवाद किए गए 19950 पन्नों के दस्तावेज जल्द से जल्द जमा कारएं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल समेत तीन वकीलों से मामले की सुनवाई जुलाई 2019 के बाद करने की मांग की.


इस पर कोर्ट ने सिब्बल ने कहा कि क्या हम आपके बयान को रिकॉर्ड पर ले सकते हैं. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा- नहीं इसे रिकॉर्ड पर लेने की जरूरत नहीं है. कपिल सिब्बल ने कहा कि आखिर इस मामले को सुनने की इतनी जल्दी क्या है, इसे क्यों नहीं टाला जा सकता? इस पर कोर्ट ने जवाब दिया कि आखिर कहीं तो शुरुआत करनी ही होगी.


वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने मौजूदा 3 जजों की बेंच में सुनवाई की पैरवी की. उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत कोर्ट को सुनवाई की प्रक्रिया तय करने का अधिकार है. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि मामला धर्मनिरपेक्षता से जुड़ा है जो कि संविधान का एक मूल तत्व है. इसलिए मामला संविधान पीठ में ही जाना चाहिए. कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच को भेजने के मामले पर कुछ नहीं कहा. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच इस केस की सुनवाई कर रहे हैं.