नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त करके सरकार "ऐतिहासिक भूल का सुधार" करने जा रही है. उन्होंने अनुच्छेद 370 को जम्मू कश्मीर से भारत को जोड़ने में रुकावट करार दिया. गृह मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में इस सरकार को कोई परेशानी नहीं.


कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के सवालों पर शाह ने कहा कि स्पष्ट किया कि 1960 के दशक में पाकिस्तान द्वारा भारत की सीमाओं का अतिक्रमण करने के साथ ही यूएन का वह प्रस्ताव अपने आप ही निष्प्रभावी हो गया था. शाह ने लोकसभा में जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को हटाने संबंधित दो संकल्पों, जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक और राज्य में आरक्षण के प्रावधानों के लिए लाये गये विधेयक पर एक साथ हुई चर्चा का जवाब देते कहा, "अनुच्छेद 370 भारत और कश्मीर को जोड़ने से रोक रहा था." उन्होंने कहा कि आज सदन की स्वीकृति के बाद यह रुकावट दूर हो जाएगी.


लद्दाख को वहां के लोगों की मांग पर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया- अमित शाह


शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू कश्मीर का भला कैसे होगा, इसका जवाब है कि यह जम्मू कश्मीर और लद्दाख की गरीबी बढ़ाने वाली, विकास को रोकने वाली, पर्यटन को रोकने वाली, आरोग्य की सुविधाओं से दूर रखने वाली, महिला विरोधी, दलित विरोधी, आदिवासी विरोधी और आतंकवाद का खाद और पानी दोनों है. जम्मू कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने पर उठे सवालों पर शाह ने कहा कि लद्दाख को वहां के लोगों की मांग पर केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है. जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होते ही जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा.


गृह मंत्री ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि 370 अस्थाई है, इसे उचित समय पर हटा दिया जाएगा. लेकिन इसे हटाने में 70 साल लग गये. उन्होंने ने कहा, "हमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने में 70 साल नहीं लगेंगे."


विधेयक में पीओके और अक्साई चिन का भी उल्लेख


अमित शाह ने इस फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण ही अनुच्छेद 370 समाप्त हो रहा है. इस दौरान सदन में प्रधानमंत्री मोदी उपस्थित थे. उन्होंने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के संबंध में कहा कि वह भारत का हिस्सा है. विधेयक में भी पीओके और अक्साई चिन का उल्लेख है. उन्होंने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सेना को पूरी छूट दी होती तो पीओके भारत का हिस्सा होता.


अनुच्छेद 371 को हटाने संबंधी कुछ विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर, महाराष्ट्र और कर्नाटक समेत कुछ राज्यों के सदस्यों को मैं आश्वस्त करता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार की अनुच्छेद 371 को हटाने की कोई आकांक्षा नहीं.


हम हुर्रियत के साथ चर्चा नहीं करना चाहते


पक्षकारों से चर्चा नहीं करने के विपक्ष के आरोपों पर गृह मंत्री ने कहा कि कितने सालों तक चर्चा होगी. उन्होंने कहा, "हम हुर्रियत के साथ चर्चा नहीं करना चाहते, अगर घाटी के लोगों में आशंका है तो जरूर उनसे चर्चा करेंगे, उन्हें गले लगाएंगे." एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी के सरकार पर इस कदम के जरिये "ऐतिहासिक भूल" करने के आरोपों का जवाब देते हुए शाह ने कहा, "हम ऐतिहासिक भूल नहीं कर रहे, ऐतिहासिक भूल को सुधारने जा रहे हैं." उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले चुनाव में जीतने या व्यक्तित्व को बढ़ावा देने के लिए नहीं, जनता की भलाई के लिए लिये जाते हैं.


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