कांग्रेस जितना भी षड्यंत्र कर ले कश्मीर भारत से कभी अलग नहीं होगा, ये हमारा प्रण है: अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस जितना भी षड्यंत्र कर ले कश्मीर भारत से कभी अलग नहीं होगा,ये हमारा प्रण है. बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई. ये दिखाता है कि हमें सत्ता नहीं जम्मू-कश्मीर के विकास की चिंता है.
जम्मू: आज जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर बीजेपी ने जम्मू में बड़ी रैली की जिसे अमित शाह ने संबोधित किया. अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस बताए कि उनकी पार्टी और लश्कर में क्या संबंध है क्योंकि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का बयान आते ही लश्कर ने उसका समर्थन कर दिया. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के बयान को लश्कर-ए-तैयबा समर्थन देता है, क्या राहुल गांधी जी बताएंगे कि कांग्रेस और लश्कर की ये फ्रिक्वेंसी मैच कैसे कर रही है.
अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी में अगर गैरत है तो वो अपने नेताओं से सवाल पूछें. अपने दो नेताओं के बयान पर राहुल गांधी माफी मांगे, लेकिन मुझे यकीन है कि वो माफी नहीं मानेंगे. कांग्रेस जितना भी षड्यंत्र कर ले कश्मीर भारत से कभी अलग नहीं होगा,ये हमारा प्रण है. बीजेपी ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई. ये दिखाता है कि हमें सत्ता नहीं जम्मू-कश्मीर के विकास की चिंता है. कश्मीर में हालत ऐसे हुए कि शांति बहाल नहीं हो पाई और जवान औरंगजेब और पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की गई, विकास का संतुलन महबूबा सरकार में बिगड़ गया और जम्मू-लद्दाख से पीडीपी सरकार ने भेदभाव किया.
पीडीपी गठबंधन से भाजपा के अलग होने के बाद पहली बार राज्य के दौरे पर पहुंचे शाह ने कहा , ‘श्रीमान् सोज आप सैकड़ों जन्म लेंगे लेकिन भाजपा कश्मीर को भारत से अलग नहीं होने देगी. जम्मू - कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है और श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने अपनी कुर्बानी देकर इसे एक किया है.’ सभा का आयोजन जनसंघ के संस्थापक के ‘बलिदान दिवस ’ पर आयोजित किया गया था. जम्मू - कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने हाल में कहा था कि सुरक्षा बल घाटी में आतंकवादियों से ज्यादा नागरिकों को मार रहे हैं. वहीं सोज ने अपनी आगामी किताब में पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ के विचारों का कथित तौर पर समर्थन किया है कि अगर कश्मीरियों को मौका दिया जाए तो वे स्वतंत्रता का विकल्प चुनेंगे.अमित शाह ने कहा कि 70 सालों में जो नहीं हुआ वो मोदी सरकार के राज में जम्मू और लद्दाख के लिए किया गया. हालांकि जम्मू के एम्स का काम पीडीपी सरकार ने अटका दिया. अगर हम जम्मू और लद्दाख के विकास का काम क्यों नहीं हुआ इसका जवाब पीडीपी से मांगते हैं तो क्या ये गलत है, राज्य के विकास के बारे में महबूबा सरकार से सवाल मांगते हैं तो क्या ये गलत है? एनसी-पीडीपी सरकारों ने शासन किया लेकिन जम्मू-कश्मीर का विकास नहीं किया. जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए मोदी सरकार ने फंड दिया लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया गया.
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू को स्मार्ट सिटी घोषित किया लेकिन इसका डीपीआर आज तक नहीं बना. बीजेपी चाहती थी कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का समान विकास हो लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. आतंक के खिलाफ हमारी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति है. हम चाहते हैं कि जिस तरह दिल्ली, बंगाल ,बेंगलुरू, गुजरात का युवा अपने भविष्य के सपने देखता है और उसे साकार करता था जम्मू-कश्मीर का युवा भी ऐसा कर सके. राज्य में अब राज्यपाल शासन लगा है, पाक शरणार्थियों के लिए दिए गए 15 हजार करोड़ खर्च नहीं हुए. हम जल्द से जल्द पाक शरणार्थियों तक मुआवजे की रकम पहुंचाएंगे-
शाह की टाइमिंग को लेकर खड़े हुए सवाल
बीजेपी के पीडीपी नीत गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद शाह का यह जम्मू कश्मीर का पहला दौरा है. राज्य में फिलहाल राज्यपाल शासन लागू है. इस दौरे को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह है लेकिन साथ ही इस दौरे की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि अमित शाह का यह दौरा बीजेपी के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि वाले दिन हो रहा है. डॉ श्यामा प्रसाद ने जम्मू कश्मीर के भारत में पूर्ण विलय के लिए श्रीनगर की एक जेल में प्राणों की आहूति दी थी.
BJP शुरू करेगी राज्य में लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तैयारी
अब उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर अमित शाह का जम्मू आने का मतलब साफ़ है कि अब बीजेपी अपने कोर मुद्दों पर वापस लौटेगी. बीजेपी यह मान रही है कि अमित शाह का यह दौरा ना केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकेगा बल्कि इसी दौरे के साथ राज्य में लोकसभा और राज्य के चुनावी की तैयारी शुरू हो जाएगी.
कौन थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी?
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 में कोलकाता में हुआ था. वह भारतीय जनसंघ (अब बीजेपी) के संस्थापक थे. इन्होंने साल 1929 में राजनीति की शुरूआत की थी. वह बंगाल विधान परिषद में चुने गए थे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी साल 1947 में पंडित जवाहर लाल नेहरु की कैबिनेट में भी शामिल हुए थे. हालाकिं तीन साल बाद साल 1950 में उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था.
इसके बाद उन्होंने साल 1951 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गोलवलकर के कहने पर भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी. साल 1952 के चुनाव में जनसंघ के तीन सांसद चुने गए. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत की अखंडता और कश्मीर का भारत में विलय के समर्थक थे. मुखर्जी जम्मू-कश्मीर में धार 370 हटाने का विरोध करते रहे.
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