'कांग्रेस देना चाहती मुसलमानों को रिजर्वेशन, हम धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होने देंगे', राज्यसभा में बोले अमित शाह
Amit Shah on Muslim Reservations: अमित शाह ने राज्यसभा में कांग्रेस के मुसलमानों को आरक्षण देने की मंशा पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा धर्म के आधार पर आरक्षण को कभी स्वीकार नहीं करेगी.
Amit Shah Speech in Rajya Sabha: गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार (17 दिसंबर, 2024) को राज्यसभा में कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस 50% से अधिक आरक्षण सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है. गृह मंत्री ने इसे संविधान के खिलाफ और तुष्टीकरण की राजनीति का हिस्सा बताया.
अमित शाह ने कहा "कांग्रेस 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण सीमा बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहती है, भले ही भाजपा के पास एक भी सांसद हो, लेकिन वह धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं देगी, कांग्रेस को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह मुस्लिम पर्सनल लॉ का समर्थन करती है, मुस्लिम पर्सनल लॉ लाना देश में तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत थी".
आरक्षण सीमा का उल्लंघन
अमित शाह ने कांग्रेस से मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की. उनका कहना था कि यह कानून तुष्टीकरण की राजनीति की शुरुआत थी, जिसने देश को विभाजित करने का काम किया. अमित शाह ने चेतावनी दी कि आरक्षण सीमा को बढ़ाकर मुसलमानों को आरक्षण देने का प्रयास संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि यह न केवल संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के खिलाफ है, बल्कि इससे सामाजिक असंतुलन भी पैदा होगा. उन्होंने इसे कांग्रेस की धार्मिक अल्पसंख्यकों को खुश करने की रणनीति करार दिया.
मुस्लिम पर्सनल लॉ क्या है?
यह कानून मुस्लिम समुदाय के लिए विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और संपत्ति विवादों में शरीयत के अनुसार फैसले सुनिश्चित करता है. वहीं, इस कानून के आलोचकों का मानना है कि यह देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है. इस पर कांग्रेस का मानना है कि मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्ग सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं, जिन्हें आरक्षण से लाभ हो सकता है.पार्टी इसे समानता और न्याय का मुद्दा बताती है. अमित शाह ने कांग्रेस की नीतियों को धर्म आधारित राजनीति और समाज को बांटने का प्रयास बताया. भाजपा का मानना है कि धर्म के आधार पर आरक्षण से सामाजिक ध्रुवीकरण बढ़ेगा.
अमित शाह के इस बयान ने राज्यसभा में धर्म आधारित आरक्षण और तुष्टीकरण राजनीति को लेकर एक बड़ी बहस छेड़ दी है. जहां भाजपा इसे संविधान और समानता के सिद्धांतों के खिलाफ मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे सामाजिक न्याय का हिस्सा बता रही है.