नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) बिल पेश करेंगे. इस बिस के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. लोकसभा में सोमवार को होने वाले कार्यों की सूची के मुताबिक गृह मंत्री दोपहर में बिल पेश करेंगे.


बिल में छह दशक पुराने नागरिकता कानून में संशोधन की बात है. पेश होने के बाद बिल पर चर्चा होगी और पारित कराया जाएगा. इस बिल के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी प्रदर्शन हो रहे हैं. काफी संख्या में लोग और कई संगठन बिल का विरोध कर रहे हैं.


विरोध प्रदर्शन करने वालों का कहना है कि इससे असम समझौता 1985 के प्रावधान निरस्त हो जाएंगे जिसमें बिना धार्मिक भेदभाव के अवैध शरणार्थियों को वापस भेजे जाने की अंतिम तिथि 24 मार्च 1971 तय है.


नागरिकता संशोधन बिल: राज्यसभा में है चुनौती लेकिन बिल के पारित होने की संभावना


प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) ने क्षेत्र में दस दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है.


नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 (CAB) के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को अवैध शरणार्थी नहीं माना जाएगा बल्कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी.


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बीजेपी नीत एनडीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था और वहां पारित करा लिया था. लेकिन पूर्वोत्तर राज्यों में प्रदर्शन की आशंका से उसने इसे राज्यसभा में पेश नहीं किया.


पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद बिल की मियाद भी खत्म हो गयी थी. यह बिल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का चुनावी वादा था.


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