Amit Shah Jammu-Kashmir Visit: जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को मिल सकता है ST स्टेटस, अमित शाह राजौरी में कर सकते हैं बड़ा एलान
Shah In J&K: केंदीय गृह मंत्री अमित शाह का कल से तीन दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरा शुरू होने जा रहा है. कल अमित शाह राजौरी जनसभा में बड़ा एलान कर सकते हैं. यह एलान बीजेपी के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.
Amit Shah In Jammu Kashmir: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) का तीन दिवसीय जम्मू कश्मीर दौरा आज से शुरू हो रहा है. उनके दौरे को लेकर जम्मू से लेकर घाटी तक हलचल तेज हो गई है. इस दौरे के दौरान सबकी निगाहें मंगलवार को राजौरी में होने वाली जनसभा पर हैं. सूत्रों की मानें तो इस सभा में अमित शाह जम्मू कश्मीर के एक बड़े तबके पहाड़ी समुदाय को बड़ी सौगात दे सकते हैं.
पहाड़ी समुदाय को एसटी स्टेटस (ST Status) दिए जाने की सालों से चली आ रही मांग पर बड़ा एलान कर सकते हैं. अगर ऐसा हुआ तो ये फैसला बीजेपी (BJP) के लिए मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, जो आने वाले विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Election) में बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचा सकता है.
चार अलग-अलग डेलिगेशन से मिलेंगे शाह
बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 समाप्त होने के बाद गृह मंत्री अमित शाह दूसरी बार जम्मू-कश्मीर दौरे पर आज शाम 7 बजे जम्मू पहुंच रहे हैं. जम्मू पहुंचते ही शाह चार अलग-अलग डेलिगेशन से मुलाकात करेंगे. गुर्जर, बकरवाल, पहाड़ी समुदाय के लोगों के साथ वन टू वन करेंगे, जबकि राजा हरि सिंह के जन्मदिवस पर अवकाश घोषित किए जाने पर राजपूत समाज का एक दल उन्हें धन्यवाद देने के लिए पहुंचेगा. ये सभी मुलाकातें राजभवन में होगी.
राजौरी की सभा क्यों है महत्वपूर्ण
हालांकि, इन सबसे अलग सबकी निगाहें कल राजौरी (Rajouri) में होने वाली सभा पर हैं. माना जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह राजौरी की सभा से पहाड़ी समुदाय को एसटी स्टेटस दिए जाने की घोषणा कर सकते हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है. पहाड़ी समुदाय जम्मू कश्मीर के करीब 5 जिलों में प्रभाव रखते हैं, जबकि करीब 10 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जो सीधे तौर पर प्रभावित होती हैं.
सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव में इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा, लेकिन एसटी और स्टेटस वाली कई जातियां खासकर गुज्जर, बकरवाल इसके खिलाफ खड़े हो सकते हैं. यही कारण है कि गृह मंत्री अमित शाह इन समुदायों के प्रमुख लोगों से अलग-अलग मिलकर बात करना चाहते हैं.
क्या है पहाड़ी समुदाय की मांग
बताया जा रहा है कि पहाड़ी बोलने वाली करीब 4 लाख से ज्यादा की आबादी 1965 से इस बात की मांग कर रही है कि उन्हें एसटी स्टेटस दिया जाए. सूत्रों की मानें तो 1965 में जम्मू-कश्मीर सरकार की तरफ से एसटी स्टेटस दिए जाने के लिए कई जातियों की लिस्ट तैयार कर भारत सरकार को भेजी थी, जिसमें गुज्जर, बकरवाल व अन्य जातियां शामिल थी. उस समय कांग्रेस की सरकार थी.
सरकार ने गुज्जर व बकरवाल समेत अन्य जातियों को स्टेटस दे दिया, लेकिन पहाड़ी बोली बोलने वाले एक बड़े समाज को इससे अलग रखा गया और तब से लगातार एसटी स्टेटस दिए जाने की मांग की जा रही है. धारा 370 हटाने के बाद पहाड़ी समाज को लेकर ओबीसी कमीशन गठित किया गया. सूत्रों की मानें तो कमीशन ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौप दी है, जिसमें उन्हें एस टी स्टेटस दिए जाने की सिफारिश की गई है.
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