Amit Shah To Introduce These Bills In Parliament:  देश में क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आपराधिक न्याय प्रणाली) में सुधार के लिए तीन नए आपराधिक कानून विधेयकों को आज मंगलवार (12 दिसंबर) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में पेश कर सकते हैं. पहले इसे पेश करने के बाद केंद्र ने वापस ले लिया था.


हालांकि अब मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने दावा किया है कि विधेयकों को वापस लेने का यह फैसला केंद्र सरकार ने संसदीय स्थायी समिति (स्टैंडिग कमेटी) की सिफारिशों के बाद लिया है. इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि स्टैंडिग कमेटी की कुछ सिफारिशों के आधार पर नए बिल लाए जाएंगे. आज ही इन्हें सदन में पेश किया जा सकता है.


पहले संसद में पेश किए गए थे विधेयक
दरअसल सरकार ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को वापस ले लिया था. ये विधेयक 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए थे. ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बदले लाए गए थे. सूत्रों ने बताया है कि अमित शाह इन विधेयकों के अलावा जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी विधानसभा में 33 फीसदी महिलाओं के आरक्षण से संबंधित विधेयक को भी पेश कर सकते हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दावा किया है कि इन विधेयकों का मकसद सजा नहीं, बल्कि न्याय दिलाना है.


सरल भाषा में समझें क्या हैं विधेयक


दरअसल इस विधेयक से आईपीसी और सीआरपीसी में बड़े पैमाने पर बदलाव किया जाएगा. भारतीय दण्ड संहिता (आईपीसी) की धाराएं गंभीर अपराधों के मामले में लगाई जाती हैं. यह अपराधों की परिभाषा के साथ-साथ उसके लिए तय सजा को बताती है. सिविल लॉ और क्रिमिनल भी आईपीसी के तहत आते हैं.


 भारतीय दण्ड संहिता में 23 चैप्टर हैं और 511 धाराएं हैं. पुलिस अपराधिक मामलों को आईपीसी के तहत दर्ज करती है, लेकिन उसके बाद की प्रक्रिया कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर (CrPC) के तहत चलती है. ये अंग्रेजी जमाने से ही चले आ रहे हैं जिनमें बदलाव कर न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने की पहल केंद्र सरकार कर रही है.


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