Amit Shah In Manipur: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत राज्य के दौरे पर हैं. बुधवार (31 मई) को शाह ने कुकी और मैतेई समुदाय के राहत शिविरों में पहुंचकर जायजा लिया और लोगों को मदद का आश्वासन दिया. शाह सोमवार (29 मई) से मणिपुर के चार दिवसीय दौरे पर हैं. एक जून तक वह वहां में रहेंगे.
इसके अलावा, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चेतावनी जारी की कि जिन लोगों के पास अनधिकृत और अवैध तरीके से हथियार और गोला-बारूद पाया जाएगा, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
सीएम बीरेन ने कहा, ''मैं सभी संबंधित लोगों से अपील करता हूं कि घाटी और पहाड़ी जिलों में सशस्त्र पुलिस बटालियन, पुलिस थानों आदि से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद जल्द से जल्द नजदीकी पुलिस थाने या मणिपुर राइफल्स/इंडियन रिजर्व बटालियन, आदि में सौंप दें.’’ सीएम ने कहा, ''अगर सुरक्षा कर्मियों की ओर से तलाशी अभियान के दौरान या अन्यथा किसी भी व्यक्ति के पास अनधिकृत हथियार और गोला-बारूद पाया जाता है तो उसके खिलाफ हथियार कानून 1959 और नियमों के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी.''
राहत शिविर के शाह के दौरे का वीडियो
क्या कहा गृह मंत्री शाह ने?
गृह मंत्री शाह ने कहा कि सरकार जल्द से जल्द मणिपुर में शांति बहाल करने और विस्थापितों की उनके घरों में वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. एक ट्वीट में शाह ने कहा, ''इंफाल में एक राहत शिविर का दौरा किया जहां मैतेई समुदाय के लोग रह रहे हैं. हमारा संकल्प मणिपुर को एक बार फिर से शांति और सद्भाव के रास्ते पर वापस लाने और लोगों की जल्द से जल्द घरों में वापसी पर केंद्रित है.''
'लोग सद्भाव बहाली के इच्छुक'
बुधवार को शाह ने मणिपुर के कांगपोकपी में नागरिक संस्था समूहों के साथ बैठक भी की. उन्होंने कहा कि लोग समुदायों के बीच सद्भाव बहाली के सरकार के प्रयासों के साथ सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए इच्छुक हैं. राहत शिविरों के दौरे के दौरान गृह मंत्री शाह ने वहां की व्यवस्था का जायजा लिया. लोगों के ठहरने और भोजन-पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं कैसी हैं, इस बारे में उन्होंने जाना. उन्होंने राहत शिविरों में बच्चों और महिलाओं से भी बातचीत की.
अधिकारियों ने बताया कि झड़पों में मरने वालों की संख्या 80 हो गई है. मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी थी. अनुसूचित जाति (ST) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था. आरक्षित वन भूमि से कुकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे.